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भेंट : जेलमें


जो लोग [जेलसे] बाहर हैं उनकी शान्ति उनके कार्य में निहित है। और वह काम है खादीका प्रचार और उत्पादन खास बम्बईमें भले ही इसका उत्पादन कम हो; लेकिन वहाँ चारों ओरसे खादी इकट्ठी की जाये, यह वांछित है।

यदि हम बम्बई के स्थानपर अहमदाबादको खादी इकट्ठी करनेका केन्द्र बना लें तो वहाँ खर्च कम होनेकी सम्भावना है।

[गुजरातीसे]
बापूनी प्रसादी

४६. पत्र : रेवाशंकर झवेरोको[१]

जेल
मौनवार, १३ मार्च, १९२२

मैं तो परम शान्तिका उपभोग कर रहा हूँ। जब मैं कोधको निर्मूल कर चुका, [अपनी भूलोंका] प्रायश्चित्त कर चुका और शुद्ध हो गया, मैं तभी पकड़ा गया। मेरे लिए अथवा भारत के लिए इससे अधिक अच्छी दूसरी बात क्या हो सकती है। आप मेरी तनिक भी चिन्ता न करें. . .[२]

[गुजराती से]
बापूनी प्रसादी
 

४७. भेंट : जेल में[३]

साबरमती जेल
१४ मार्च, १९२२

अहमदाबादकी मिलोंसे चन्देके रूपमें तिलक स्वराज्य-कोष के लिए लगभग तीन लाख रुपयेका जो चन्दा प्राप्त हुआ है उसके सम्बन्धमें लम्बी बातचीत हुई। श्री गांधीने आग्रह किया कि यह सारीकी सारी रकम गुजरात प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीको यह कहकर दी जाये कि वह इस पूरी रकमको या उसके कुछ अंशको राष्ट्रीय शिक्षापर व्यय करे। यह बातचीत देरतक चली। उसके बाद सर्वसम्मति से यह निश्चित किया गया कि कोष समिति अहमदाबादके मजदूर संघोंको प्रतिवर्ष
  1. रेवाशंकर जगजीवन झवेरी, गांधीजीके मित्र और डा॰ प्राणजीवन मेहताके भाई।
  2. साधन-सूत्र में आगेके शब्द छोड़ दिये गये हैं।
  3. अहमदाबादकी मिलों द्वारा संगठित तिलक स्वराज्य-कोष समितिके सदस्य श्री गोरधनदास पटेल और सार्वजनिक कार्योंमें दिलचस्पी लेनेवाले अहमदाबादके प्रमुख नागरिकोंने गांधीजीसे साबरमती जेलमें भेंट की थी। उस समय श्री पटेलने निजी तौरसे गांधीजीसे कुछ प्रश्न किये थे। इस भेंटका यह सार एसोसिएटेड प्रेस द्वारा प्रसारित किया गया था।