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पत्र : जमनालाल बजाजको


क्या श्री मॉन्टेग्युके इस्तीफेके फलस्वरूप भारतको कुछ नुकसान उठाना पड़ेगा?

मेरा विश्वास है कि नुकसान कदापि नहीं होगा। परन्तु श्री मॉन्टेग्युने जो कुछ किया है वे निश्चय ही उसके लिए हमारी प्रशंसाके पात्र हैं।

क्या वर्तमान समय में इंग्लैंड तथा भारतको राजनैतिक स्थितियों में कोई तर्क सिद्ध सम्बन्ध है?

हाँ, ऐसा सम्बन्ध जरूर है। यदि मैंने भारतके लिए जो कार्यक्रम निर्धारित किया है उसे सफलतापूर्वक निभाया गया तो न सिर्फ इंग्लैंड की राजनैतिक स्थितिपर ही उसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा, बल्कि समस्त संसारकी राजनैतिक स्थितिपर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

पैरिसमें जो सम्मेलन होने जा रहा है, उसके बारेमें आपका क्या खयाल है?

इस समय तो मुझे इस सम्मेलनसे कोई विशेष आशा नहीं है, क्योंकि मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि जबतक भारत चरखे के चमत्कारको पूर्ण रूपसे प्रदर्शित नहीं कर देता तबतक खिलाफतका मसला मुनासिब ढंगसे हल नहीं हो सकता।

आपकी अनुपस्थितिमें यहाँके मिल मालिकों तथा मिल मजदूरोंके बीच सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध कायम रखनेके सम्बन्धमें आप क्या निर्देश देते हैं?

अनसूया बहनपर[१] पूरा भरोसा करो।

आप अहमदाबाद के निवासियोंके लिए क्या सन्देश देना चाहते हैं?

अहमदाबादके लोगोंको चाहिए कि वे खद्दर अपनायें, आपसमें पूर्ण एकता रखें और वर्त्तमान आन्दोलनका समर्थन करें।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १८–३–१९२२
 

४८. पत्र : जमनालाल बजाजको

गुरुवार रात्रि [१६ मार्च, १९२२]

चि॰ जमनालाल,

जैसे-जैसे मैं सत्यकी शोध करता हूँ, मुझे प्रतीत होता जाता है कि सब-कुछ उसीमें आ जाता है। प्रायः यह प्रतीत होता रहता है कि अहिंसामें वह नहीं है, परन्तु उसमें अहिंसा है। निर्मल अन्तःकरणको जिस समय जो प्रतीत हो वह सत्य है। उसपर दृढ़ रहने से शुद्ध सत्यकी प्राप्ति हो जाती है। इसमें मुझे कहीं धर्म-संकट भी मालूम नहीं होता। लेकिन अहिंसा किसे कहें इसका निर्णय करनेमें प्रायः कठिनाईका अनुभव होता है। जन्तुनाशक पानीका उपयोग भी हिंसा है; पर हमें हिंसामय जगत् में अहिंसामय बनकर रहना है और ऐसा तो सत्यपर दृढ़ रहनेसे ही हो सकता है। इसलिए मैं तो

  1. अहमदावादको सामाजिक कार्यकर्त्री तथा वहाँके मजदूरोंको नेता।