पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/१६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ध्यान आकर्षित किया गया था। वकीलने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि अभियुक्त बहुत ही ऊँची शैक्षणिक योग्यताओंसे सम्पन्न है और उसके लेखोंसे स्पष्ट है कि वह एक जाना-माना नेता है। इसलिए इन लेखोंसे बहुत बड़ी हानि होनेकी सम्भावना है। ये लेख किसी ऐरे-गॅरेके नहीं, एक सुशिक्षित व्यक्तिके लिखे हैं और अदालतको इस बातपर गौर करना चाहिए कि इन लेखोंमें जिस प्रचार-आन्दोलनकी झलक मिलती है उसका लाजिमी नतीजा क्या होगा। पिछले कुछ महीनोंमें इसके उदाहरण हमारे सामने आये हैं। पिछले नवम्बर में हुई बम्बईकी घटनाओं और इसके बाद चौरीचौरा काण्डको देखिए। उनमें जान-मालका भारी नुकसान हुआ और बहुतसे लोगों को बड़ी मुसीबतें उठानी पड़ीं। यह ठीक है कि इन लेखोंमें अहिंसाको इस आन्दोलनका एक अनिवार्य तत्त्व और सिद्धान्तकी चीज बताते हुए उसपर बहुत जोर दिया गया है। पर अहिंसाके उपदेश से फायदा क्या, जब उन्होंने साथ-ही-साथ सरकारके खिलाफ राजनीतिक ब्रोहका भी प्रचार किया या खुले तौरपर लोगोंको सरकारका तसा पलटनेके लिए उकसाया? इस प्रश्नका उत्तर चौरीचौरा, मद्रास और बम्बईकी घटनाओंसे मिल जाता है। अदालतको अभियुक्तके लिए सजाका फैसला करते समय इन सभी परिस्थितियोंका खयाल रखना चाहिए, और यह तो अदालत ही तय करेगी कि इन परिस्थितियोंको देखते हुए क्या बहुत सख्त सजा नहीं देनी चाहिए।

दूसरे अभियुक्तका अपराध उतना बड़ा नहीं है। उसने इन लेखोंका प्रकाशन भर किया है, लेख लिखे नहीं हैं; फिर भी उसका अपराध गम्भीर तो है ही। मुझे बतलाया गया है कि यह अभियुक्त काफी सम्पन्न व्यक्ति है और इसलिए में अदालतसे निवेदन करता हूँ कि जेलकी सजाके अलावा उसपर काफी जुर्माना भी किया जाना चाहिए। वकीलने जुर्मानेके बारेमें 'प्रेस ऐक्ट' की धारा १० पढ़कर सुनाई, और कहा कि नये समाचारपत्रका 'डिक्लेरेशन' देते समय कई मामलोंमें एक हजारसे दस हजार रुपये तक की जमानत भी मांगी है।

न्यायालय : श्री गांधी, क्या आप सजाके सवालके बारेमें कोई बयान देना चाहते हैं?

श्री गांधी : हाँ, न्यायालयकी अनुमति से मैं एक लिखित बयान देना चाहता हूँ।

न्यायालय : क्या आप लिखित बयान रेकार्डमें रखनेके लिए मुझे दे सकते हैं?

श्री गांधी : पढ़ चुकने के बाद मैं तुरन्त यह बयान आपको दे दूँगा।

अपना लिखित बयान पढ़नेके पहले श्री गांधीने कुछ शब्द उस पूरे बयानकी भूमिकाके रूपमें कहे। उन्होंने कहा :

इस बयानको पढ़नेसे पहले मैं यह कहना चाहूँगा कि विद्वान् एडवोकेट-जनरलने मुझ नाचीज के बारेमें जो कुछ कहा है, मैं उससे पूर्णतया सहमत हूँ। मैं समझता हूँ कि उन्होंने जितनी भी बातें कही हैं, उन सबमें उन्होंने मेरे साथ पूरी तरह न्याय किया है, क्योंकि यह बिलकुल सच है और मेरी इच्छा इस न्यायालयसे इस तथ्यको