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५९. साबरमती जेलसे अन्यत्र भेजे जानेपर टिप्पणी

साबरमती जेल
[२० मार्च, १९२२][१]

मो॰ क॰ गांधीने कहा, मेरी गिरफ्तारीके समयसे आजतक जिस एक बातने मेरे साहस और हौसलेको बनाये रखा वह यह है कि देशने मेरे सन्देशपर अमल किया और किसी प्रकारका हिंसात्मक विस्फोट नहीं हुआ।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स
 

६०. भेंट : चक्रवर्ती राजगोपालाचारीसे[२]

यरवदा जेल
पूना
१ अप्रैल, १९२२

गांधीजीने अपने भोजनके बारेमें पूछे जानेपर कहा : मुझे डबल रोटी और बकरीका दूध दिया जाता है; दूध दिन-भरका एक ही समय दे दिया जाता है। मैंने भोजन तीन बार करनेके बजाय दो बार करना शुरू कर दिया है। फलोंके बारेमें पूछनेपर उन्होंने कहा, मुझे दिनमें २ संतरे दिये जाते हैं। मैंने अपनी रोजकी खुराकमें मुनक्के भी लिखे थे; परन्तु अभी मुझे मुनक्के देनेका आदेश नहीं दिया गया है। . . .

. . .महात्माजीने मुझसे कहा है, वे यह नहीं चाहते कि उनके जेल जीवनके बारेमें कोई शिकायत की जाये।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, ३–४–१९२२
  1. गांधीजी और शंकरलाल बैंकर साबरमती जेलसे २० मार्चको अर्द्ध रात्रिके समय स्पेशल ट्रेनसे परवदा जेल ले जाये गये थे।
  2. यह मुलाकात पूनाके पास यरवदा जेलमें हुई थी। इस अवसर पर देवदास गांधी भी उपस्थित थे। विस्तृत विवरणके लिए देखिए परिशिष्ट २।