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पत्र : हकीम अजमल खाँको

से जाते-जाते एक बोल उठा, 'बकवास'। उन्हें श्री बैंकरके पिछले जीवन, उनकी स्थिति या उनके लालन-पालनके बारेमें कुछ पता नहीं था। इस सबका पता लगाने और जो मेरी दृष्टिमें एक बहुत ही स्वाभाविक प्रार्थना थी उसका कारण मालूम करनेसे, जैसे उन्हें कोई सरोकार ही नहीं था। श्री बैंकरके लिए भोजनसे भी ज्यादा जरूरी चीज यह थी कि वे रात में आरामसे सो सकें।

इस भेंटके बाद एक घंटे के अन्दर ही एक वार्डर यह हुक्म लेकर आया कि श्री बैंकरको किसी और जगह रखा जायेगा। मेरी स्थिति उस माँकी तरह हो गई जिससे अचानक उसकी इकलौती सन्तान छिन रही हो। इसे एक शुभ संयोग ही समझना चाहिए कि श्री बैंकर मेरे साथ गिरफ्तार हुए और हम दोनोंपर एक साथ मुकदमा चला। साबरमती में मैंने जिला मजिस्ट्रेटको यह लिखा था कि यदि सरकार श्री बैंकरको मुझसे अलग न करे तो मैं इसे एक कृपा मानूँगा और यदि श्री बैंकर मेरे साथ ही रहें तो हमें एक दूसरेका सहारा रहेगा। वे मेरे पास 'गीता' पढ़ते थे और मेरे दुर्बल शरीरकी देखभाल रखते थे। श्री बैंकरकी माताका कुछ महीने पहले ही देहान्त हुआ था। मृत्युके कुछ दिन पहले जब में उनसे मिला था तो उन्होंने मुझसे कहा था, मैं अब शान्तिसे मरूँगी, क्योंकि मेरा बेटा आपकी देखरेखमें पूर्णतया सुरक्षित है। उस देवीको इस बातका क्या पता था कि जरूरतके वक्त में उसके बेटेकी रक्षा करनेमें बिलकुल असहाय सिद्ध हो जाऊँगा। श्री बैंकर जब मेरे पाससे जाने लगे तो मैंने उन्हें ईश्वरके हाथों में सौंप दिया और यह आश्वासन दिया कि ईश्वर उनकी देखभाल और रक्षा करेगा।

उसके बाद उन्हें आध घंटे के लिए मेरे पास आकर धुनाई सिखानेकी इजाजत मिल गई है। उन्हें घुनाई आती है। वे यह काम वार्डरकी उपस्थितिमें करते हैं ताकि जिस मकसद के लिए उन्हें मेरे पास लाया जाता है उसके अलावा हम किसी और विषयपर बातचीत न करें।

इन्स्पेक्टर जनरल और सुपरिटेंडेंटको में इस बात के लिए राजी करनेकी कोशिश कर रहा हूँ कि श्री बैंकरको जितनी देर मेरे पास रहनेकी इजाजत है उसमें मुझे उनके साथ 'गीता' पढ़ने दी जाये। यह प्रार्थना अभी विचाराधीन है।

अधिकारियोंके साथ न्याय करनेके लिए यह कहना आवश्यक है कि श्री बैंकरके शारीरिक सुख व आरामका पूरी तरह खयाल रखा जाता है और वे अस्वस्थ तो नहीं दिखते। उनकी होलदिलीकी बीमारी भी धीरे-धीरे कम हो रही है।

सात पुस्तकें अपने पास रखने के लिए मुझे अपनी सारी चतुराई काममें लानी पड़ी। इनमें से पाँच बिलकुल धार्मिक हैं और बाकी दोमें से एक पुराना शब्दकोश है जो मेरे लिए अमूल्य है और एक उर्दूकी किताब है; वह मुझे मौलाना अबुल कलाम आजादने[१] भेंट की थी। सुपरिंटेंडेंट को इस बातके कड़े आदेश थे कि कैदियोंको जेल-पुस्तकालयकी पुस्तकोंके अलावा और कोई पुस्तक न दी जाये। मेरे आगे यह सुझाव रखा गया कि मैं उपरोक्त सातों पुस्तकें जेल-लाइब्रेरीको भेंट कर दूँ और फिर उन्हें

  1. १८८९–१९५८; सुप्रसिद्ध कांग्रेसी नेता।