पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/१८५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

६३. पत्र : बम्बई सरकारको

यरवदा जेल
१२ मई, १९२२

प्रेषक, कैदी सं॰ ८६७७

सेवामें

बम्बई सरकार

कैदीने अपने एक मित्र हकीम अजमलखाँके नाम जो पत्र लिखा था उसपर सरकार के आदेश के सम्बन्धमें और उक्त पत्रके लौटाते समय उसके सम्बन्धमें यरवदा जेल के सुपरिन्टेन्डेन्टने उस आदेशके कुछ अंश कैदीको पढ़कर सुनाये, कैदी सं॰ ८६७७ का निवेदन है कि सुपरिन्टेन्डेन्टसे उक्त आदेशकी एक नकल पानेकी प्रार्थना करनेपर उन्होंने यह कहा कि कैदीको उसकी नकल देनेका अधिकार उन्हें नहीं है।

कैदी उक्त आदेशकी एक नकल प्राप्त करना चाहता है और मित्रोंके पास भेजना चाहता है ताकि वे यह जान सकें कि कैदी किन परिस्थितियोंके कारण मित्रोंको अपनी कुशल क्षेमका पत्र नहीं भेज सका। कैदीकी प्रार्थना है कि सुपरिन्टेन्डेन्टको उक्त आदेशकी एक नकल कैदीको देनेकी हिदायत दे दी जाये।

आदेश में, जहाँतक कैदीको याद है और वह उसे समझा है, सरकारने कैदी के पत्रको उसमें लिखे पतेपर भेजना इस आधारपर अस्वीकार किया है कि (१) पत्रमें कैदीने अपने अलावा दूसरे कैदियोंका उल्लेख किया है और (२) पत्रसे राजनीतिक विवाद खड़ा हो सकता है।

पहले कारण के बारेमें कैदीका निवेदन है कि पत्रमें ऐसा कोई उल्लेख नहीं है जिसका कैदीकी अपनी दशा और कुशल-क्षेमसे सम्बन्ध न हो।

दूसरे कारणके बारेमें कैदीका निवेदन यह है कि एक सार्वजनिक विवादकी सम्भावना किसी कैदी को हर तीसरे महीने मित्रों और सम्बन्धियोंको अपनी कुशल-क्षेमका एक पत्र भेजने के अधिकारसे वंचित करनेका कोई न्यायोचित कारण नहीं मानी जा सकती। उक्त आधारकी ध्वनि कैदीको रायमें बहुत ही खतरनाक है अर्थात् इससे यह ध्वनित हुआ कि भारतीय जेल कोई गुप्त विभाग है। कैदीका कहना यह है कि भारतीय जेल-विभाग एक खुला सरकारी विभाग है, जिसकी आलोचना किसी भी अन्य विभागकी तरह, सर्वसाधारण द्वारा की जा सकती है।

कैदीका कहना यह है कि जिसमें उसकी अपनी कुशल क्षेमके सूचनाकी पूर्ति के लिए आवश्यक था।

उसका उक्त पत्र सही अर्थों में एक ऐसा पत्र है, बारेमें सूचना है। दूसरे कैदियोंका उल्लेख उस यदि पत्रमें उसे कोई मिथ्या कथन या अतिरंजना दिखाई जाये तो वह उसे सहर्ष सुधार देगा। लेकिन उस पत्रको, सरकार द्वारा सुझाये गये ढंग से काट-छाँटकर भेजनेका अर्थ तो अपने मित्रोंके सामने अपनी दशाके बारेमें एक गलत तस्वीर पेश करना होगा।