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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
२० सितम्बर, बुधवार
मौन कल समाप्त किया। मौनमें परमानन्द प्राप्त हुआ। 'सरस्वतीचन्द्र, भाग—४' आज समाप्त किया। 'कबीरका काव्य समाप्त किया। जेकब बोमन पढ़ना शुरू किया। शंकराला [ल] को माँफी मांगते हुए पत्र लिखा। फिर दोबारा मौनव्रत लिया जो मंगलवारको सायंकाल ३ बजे समाप्त होगा।
२३ सितम्बर, शनिवार
बोहमनकी 'सुपरसेन्स्युल लाइफ' समाप्त की।
- 'तेरी अपनी श्रवणेन्द्रियादि और तेरी इच्छा ही प्रभुके श्रवण और दर्शनमें तेरे लिए बाधक होती है।'
- 'यदि तू प्राणियोंपर अपने आंतरिक स्वभावकी गहराईसे नहीं, केवल बाहरसे ही राज्य करता है, तो तेरा शासन और तेरी शक्ति पाशविकवृत्तिकी है। '
- 'तू वस्तु मात्र जैसा है और ऐसी एक भी वस्तु नहीं जो तेरे जैसी न हो।' 'यदि तुझे वस्तु मात्र जैसा बनना हो तो तुझे तमाम वस्तुओंका त्याग करना चाहिए।'
- 'तेरे हाथ और तेरी बुद्धि भले ही काममें लगे रहें, परन्तु तेरा हृदय तो ईश्वरमें ही तल्लीन रहना चाहिए।'
- 'स्वर्गका अर्थ है हमारी इच्छाशक्तिको भगवान् के प्रेमकी प्राप्तिमें नियोजित करना।
- 'नरकका अर्थ है भगवान्का कोप मोल लेना।'
'सुपरसेन्सुअल लाइफ' : बोमन
'प्रो क्रिस्टो एट एक्लेशिया' शुरू की।
२४ सितम्बर, रविवार
'कठवल्ली उपनिषद्' समाप्त किया।
२५ सितम्बर, सोमवार
'प्रो क्रिस्टो एट एक्लेशिया' समाप्त की। 'सत्यार्थप्रकाश' पढ़ना शुरू किया।'; 'वनपर्व' समाप्त किया।
२६ सितम्बर, मंगलवार
'विराटपर्व' और 'गैलिलियन' पढ़ना शुरू किया!
२७ सितम्बर, बुधवार
'ज्ञानेश्वरी' पढ़ना शुरू किया।
३० सितम्बर, शनिवार
'विराटपर्व' तथा 'गिबन', भाग—३' समाप्त किया।