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७५. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिटेंडेंटको

यरवदा सेन्ट्रल जेल
१२ फरवरी, १९२३

सुपरिंटेंडेंट
यरवदा सेन्ट्रल जेल
महोदय,

मुझे मालूम हुआ है कि मूलशीपेटाके कुछ कैदियोंको कोड़े लगाये गये हैं; क्योंकि कहा जाता है, उन्होंने काम करनेसे इनकार किया और जान-बूझकर कम काम किया।

यदि ये कैदी सत्याग्रही होनेका दावा करते हैं तो जबतक जेलके नियम अपमानजनक अथवा अनुचित न हों तबतक वे सब नियमोंका पालन करनेके लिए बाध्य हैं। उन्हें जो काम सौंपा गया हो उसे यथाशक्ति अवश्य किया जाना चाहिए। इसलिए यदि उन्होंने काम करनेसे इनकार किया है अथवा वे अपनी शारीरिक शक्तिके अनुसार काम नहीं करते, तो वे जेलके नियमोंको भंग करने के अलावा अपने आचार-नियमों को भी तोड़ रहे हैं।

मुझे विश्वास है कि जबतक किसी और ढंगसे काम लिया जा सकता हो, जेल के अधिकारी उन्हें कोड़े नहीं लगाना चाहते। वे यह भी चाहेंगे कि कैदी सजाके डरके बजाय विवेकके सामने झुकें। मेरा खयाल है कि वे लोग मेरा कहना मान लगे। इसलिए मैं प्रार्थना करता हूँ कि मूलशीपेटाके जो लोग जान-बूझकर जेलके नियम भंग करते हैं उन सबसे आपके सामने मुलाकात करनेकी मुझे अनुमति दी जाये, ताकि यदि वे सत्याग्रही होने का दावा करते हों तो मैं उन्हें सत्याग्रहीका धर्म समझा सकूँ।