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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जो मेरे साथ ही निवास करते हैं और मेरी विभिन्न अराजनीतिक प्रवृत्तियों और प्रयोगोंमें मदद देते हैं। इसलिए यदि मैं समय-समयपर अपने इन मित्रों, साथियों और बच्चोंसे मुलाकात नहीं कर सकता, तो मैं अपनी अत्यन्त प्रिय भावनाओंको ठेस पहुँचाए बिना अपनी पत्नीसे भी मुलाकात नहीं कर सकता। मैं अपनी पत्नीसे केवल इसलिए मुलाकात नहीं करता कि वे मेरी पत्नी हैं, बल्कि खास तौरपर इसलिए करता हूँ कि वे मेरी गतिविधियोंमें मेरी सहयोगिनी हैं।

यदि मुझे, जिनसे मैं मिलना चाहता हूँ उनसे अपनी अराजनीतिक प्रवृत्तियोंके बारेमें बातचीत नहीं करने दी जाती तो उनसे मिलनेमें मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है।

इसके अलावा यह बात जाननेकी मेरी इच्छा स्वाभाविक ही है कि पण्डित मोतीलाल नेहरू, हकीम अजमलखाँ तथा श्री मगनलाल गांधीको मिलनेकी इजाजत क्यों नहीं दी गई। हाँ, यदि उन्होंने कोई अभद्र व्यवहार किया होता अथवा वे कोई राजनीतिक चर्चा करनेके लिए मुझसे मुलाकात करना चाहते हों तो मैं इसका कारण समझ सकता था। परन्तु यदि इनकार किसी अनुल्लेखनीय राजनीतिक कारणसे किया गया हो, तो मैं कमसे कम इतना तो कर सकता हूँ कि अपनी पत्नीसे मिलनेका लोभ भी छोड़ दूँ। प्रतिष्ठा और स्वाभिमानके विषयमें मेरे अपने कुछ विचार हैं, मैं चाहूँगा कि यदि हो सके तो सरकार उन्हें भी समझ ले और उनकी कद्र करे।

राजनीतिक सन्देश भेजने की बात तो दूर रही, मुझे किसीसे राजनीतिक चर्चा तक करनेकी इच्छा नहीं है, इन मुलाकातोंके समय सरकार चाहे जिसे तैनात कर सकती है; और सरकार यदि जरूरी समझे तो उसका कोई प्रतिनिधि शीघ्रलिपिमें विवरण लिखता जा सकता है। परन्तु जेलके विनियमोंके सिवा किन्हीं और कारणोंसे यदि मुझसे मेरे मित्रों और सम्बन्धियोंको मिलने नहीं दिया जाता तो उसके प्रति मेरे सचेत रहने की इच्छा उचित ही मानी जायगी। मैंने आज अपनी स्थिति निःसंकोच भावसे पूरी तरह बता दी है। इस पत्र-व्यवहारका आरम्भ गत दिसम्बर मासकी २० तारीखको हुआ था; इसलिए मेरा आग्रह है कि सरकार इस पत्रका जल्दी, सीधा-सादा और कपटरहित उत्तर दे।

आपका आज्ञाकारी,
मो॰ क॰ गांधी
नं॰ ८२७

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८०२२) की फोटो-नकल तथा यंग इंडिया, ६-३-१९२४ से।