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७७. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिटेंडेंटको

यरवदा सेन्ट्रल जेल
२३ फरवरी, १९२३

सुपरिंटेंडेंट

यरवदा सेन्ट्रल जेल

महोदय,

आपने मुझे यह सूचित करनेकी कृपा की है कि पिछले मासकी ४ तारीखके मेरे पत्रके उत्तरमें इन्स्पेक्टर जनरलने 'वसन्त' और 'समालोचक' पत्रिकाओंके उपयोगकी मंजूरी देने में असमर्थता प्रकट की है। क्या निर्णय लिया जायेगा सो तो मैं पहले से ही जानता था। यदि इन्स्पेक्टर जनरल कृपया उक्त पत्र फिरसे पढ़कर देखें, तो वे समझ जायेंगे कि मैं निर्णयसे अवगत था। और पत्र लिखनेका कारण, अस्वीकृतिका कारण जानना-भर था। मैंने अपने पत्र में यह पूछनेका साहस किया है कि इन पत्रिकाओंके उपयोगकी मनाही क्या इसलिए की गई है कि उनमें वर्तमान राजनीतिक समाचार होते हैं अथवा इसका कोई अन्य कारण है। मैं अपनी प्रार्थनाको दोहराना चाहता हूँ और आशा करता हूँ कि आप तुरन्त उत्तर देकर मुझे अनुगृहीत करेंगे।

आपका आज्ञाकारी,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ८०२३) की फोटो नकल तथा यंग इंडिया, ६-३-१९२४ से।

 

७८. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिंटेंडेंटको

यरवदा सेन्ट्रल जेल
२५ मार्च, १९२३

सुपरिंटेंडेंट

यरवदा सेन्ट्रल जेल

महोदय,

आपने यह सूचित करनेकी मेहरबानी की है कि मेरे २३ तारीखके पत्रके उत्तरमें इन्स्पेक्टर-जनरलने कहा है कि 'वसन्त' और 'समालोचक' के बारेमें निर्णय योग्य अधिकारीके द्वारा दिया गया है; और मुलाकात सम्बन्धी कुछ प्रार्थनापत्रोंके