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पत्र : यरवदा जेलके सुपरिटेंडेंटको

लिए मैंने जो प्रार्थनापत्र दिया है उसकी वे वैसी अवहेलना न करें जैसी कि दुर्भाग्यवश उनके अबतक के पत्रोंसे प्रकट होती रही है।[१]

आपका आज्ञाकारी,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ८०२४) की फोटो-नकल तथा यंग इंडिया, ६-३-१९२४ से।

 

७९. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिंटेंडेंटको

यरवदा सेन्ट्रल जेल
१६ अप्रैल, १९२३

सुपरिंटेंडेंट
यरवदा सेन्ट्रल जेल
महोदय,

मेरा सबसे छोटा लड़का[२] आज मुझसे मुलाकात करने आया है। इसलिए यदि सम्भव हो तो मैं गत २३ फरवरीके अपने उस पत्रका सरकारी उत्तर देखना चाहूँगा जो कि मैंने अपनी मुलाकात से सम्बन्धित विनियमों के बारेमें भेजा था। उस उत्तरसे मैं यह मालूम कर सकूँगा कि मैं अपने उक्त पत्रके अनुसार अपने पुत्रसे भेंट कर सकता हूँ या नहीं। क्योंकि आप जानते हैं, आज मेरा मौनवार है। मौन दोपहरको २ बजे छूटता है।[३]

आपका आज्ञाकारी,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८०२५) की फोटो-नकल तथा यंग इंडिया, ६-३-१९२४ से।

  1. यह पत्र गांधीजीकी निम्नलिखित टिप्पणीके साथ प्रकाशित हुआ था : "इन्स्पेक्टर जनरल कर्नल डेलजीलने अन्तमें उत्तर देनेकी कृपा की कि निर्णय ऊपरके अधिकारियोंकी तरफसे दिया गया था।"
  2. देवदास गांधी।
  3. इस पत्रके सिलसिले में मुलाकातों के बारेमें सरकारकी नीतिपर गांधीजीकी टिप्पणियोंके लिए देखिए "पत्र-व्यवहारपर टिप्पणी", ६-३-१९२४।