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पत्र : यरवदा जेलके सुपरिटेंडेंटको

बता दिये जायें और मुझे यह आश्वासन दे दिया जाये कि वे मेरी ओरसे आपके कार्यालय में सुरक्षित हैं।

आपका,

अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ८०२६) की फोटो नकलसे।

 

८१. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिंटेंडेंटको

२६ अप्रैल, १९२३

सुपरिंटेंडेंट
यरवदा सेन्ट्रल जेल
महोदय,

गत सप्ताह सोमवारको मेरा सबसे छोटा लड़का देवदास गांधी अनुमति लेकर मुझसे मिलने आया था। उसने मुझे बताया कि उसने पण्डित जवाहरलाल नेहरू, श्री महादेव देसाई और अपनी ओरसे मुझसे भेंटकी अनुमति माँगी थी। किन्तु यह अनुमति केवल उसीको दी गई। सरकारने आपको लिखे मेरे गत २३ फरवरीके पत्रका जो उत्तर दिया है उसके बारेमें आपने कृपया मुझे सूचित कर दिया है। इन दोनोंको मिलाकर मैंने कुछ हदतक यह तो समझ ही लिया है कि जो लोग मुझसे मिलना चाहें, उनके सम्बन्ध में सरकारका क्या रुख है। इस मामलेमें यथासम्भव निराशासे बचनेके लिए मैंने अपने लड़केसे कहा कि न हुआ तो कुछ समय के लिए बाहरसे मित्रों द्वारा भेंटकी अनुमति माँगे जानेकी अपेक्षा मैं स्वयं भेंटकी आवश्यक अनुमति पानेके लिए लिखूंगा। इसलिए सरकार के उक्त उत्तरके अनुसार मैं नीचे लिखे किन्हीं भी पाँच व्यक्तियोंको भेंटकी अनुमति देनेकी प्रार्थना करता हूँ। उन्हें लक्ष्मी गुदाभाईके साथ मुझसे भेंटकी सुविधा दी जाये। मैंने इस सात वर्षकी दलित वर्गीय कन्याका पालन-पोषण किया है और उसे गोद लिया है। दूसरे नाम इस प्रकार हैं :

  1. मेरे भतीजे श्री छगनलाल गांधी, जो मुझसे पिछली जनवरी में मिलनेवाले थे किन्तु बीमारी के कारण नहीं मिल सके।
  2. श्री जमनादास गांधी, संख्या (१) के भाई।
  3. श्री नारणदास गांधी, संख्या (१) के भाई।
  4. (३क) मेरा लड़का रामदास गांधी।
  5. राधा मगनलाल गांधी, संख्या (१) की भतीजी, एक १४ वर्षकी लड़की।
  6. (४क) रुखी म॰ गांधी, संख्या (४) की छोटी बहन।
  7. मोती लक्ष्मीदास, लगभग १५ वर्षकी एक लड़की।
  8. लक्ष्मी लक्ष्मीदास, संख्या [५की बहन], तेरह वर्षकी एक लड़की।
  9. अमीना बावजीर, १५ वर्षकी एक लड़की।

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