पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/२१७

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८३. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिंटेंडेंटको

यरवदा सेन्ट्रल जेल
२८ जून, १९२३

सुपरिंटेंडेंट

यरवदा सेन्ट्रल जेल

महोदय,

आज सुबह मैंने सुना कि मूलशीपेटाके छः कैदियोंको कम काम करनेपर कोड़े लगाये गये हैं। कुछ दिन पहले मैंने ऐसे ही एक कैदीको इसी अपराधपर कोड़े लगाये जाने की बात सुनी थी। आजके समाचारसे मुझे अत्यन्त क्षोभ हुआ है, और मैं महसूस करता हूँ कि इस सम्बन्ध में मुझे कुछ करना ही चाहिए। परन्तु मैं जल्दबाजीसे भरा हुआ कोई कदम नहीं उठाना चाहता। आपके प्रति मेरा कर्त्तव्य है कि कुछ भी करनेसे पहले मैं उन लोगोंको दी गई सजाके बारेमें सच्ची हकीकत भी मालूम कर लूँ। यह पत्र इसीलिए है।

मैं जानता हूँ कि कैदीके नाते मुझे आपसे इस प्रकारकी हकीकत जाननेका कोई अधिकार नहीं है, परन्तु मनुष्य के नाते और एक जनसेवककी हैसियत से मैं यह पूछनेकी धृष्टता कर रहा हूँ।

आपका आज्ञाकारी,
मो॰ क॰ गांधी
नं॰ ८२७

अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ८०२९) की फोटो नकल तथा यंग इंडिया, ६-३-१९२४ से।

 

८४. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिंटेंडेंटको

यरवदा सेन्ट्रल जेल
२९ जून, १९२३

सुपरिंटेंडेंट

यरवदा सेन्ट्रल जेल

महोदय,

मैंने मूलशीपेटाके कुछ कैदियोंको कोड़े लगाये जानेके सम्बन्धमें कल जो पत्र लिखा था उसके उत्तर में सजाके कारणका पूरा ब्योरा देनेके लिए मैं आपको तथा इन्स्पेक्टर जनरलको धन्यवाद देता हूँ।

आपको याद होगा कि कुछ महीने पहले जब इसी तरहकी सजा कुछ दूसरे मूलशीपेटा के कैदियोंको दी गई थी तो मैंने सरकारसे अनुरोध किया था कि मुझे उन