पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/२२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

९२. पत्र : यरवदा जेलके सुपरिंटेंडेंटको

यरवदा सेन्ट्रल जेल
१२ नवम्बर, १९२३

सुपरिंटेंडेंट

यरवदा सेन्ट्रल जेल

महोदय,

मेरे साथी अब्दुल गनीसे आपके यह कहनेपर कि जेलके नियमोंके अनुसार उन्हें अधिकृत मात्रासे अधिक मूल्यकी खुराक लेनेकी अनुमति नहीं दी जा सकती, मैंने आपको बताया था कि आपके पूर्ववर्ती सुपरिटेंडेंटने मेरे सब साथियोंको और मुझे आवश्यकता के अनुसार खुराक दिये जानेकी अनुमति दे रखी थी। मैंने आपको यह भी बताया था कि जो सुविधा श्री अब्दुल गनीको नहीं मिल सकती, उसका उपयोग करना मुझे ठीक नहीं लगता। इसलिए मेरी खुराक भी कम करके विनियमोंके अनुसार श्री 'अब्दुल गनीको' दी जानेवाली खुराकके बराबर कर दी जाये। आपने कृपा-पूर्वक कहा था कि फिलहाल यही क्रम चलने दीजिए और यह भी कहा था कि इंस्पेक्टर जनरल जल्दी ही आनेवाले हैं तब उनसे इस बारेमें बात कर देखिएगा। अब मुझे प्रतीक्षा करते हुए १० दिनसे अधिक हो गये हैं। मैं महसूस करता हूँ कि यदि मुझे अपने मनकी शान्ति बनाये रखनी है, तो अब और राह नहीं देखी जा सकती। इन्स्पेक्टर जनरलसे चर्चा करने के लिए मेरे पास कुछ है भी नहीं। श्री अब्दुल गनी के सम्बन्ध में किये गये आपके निर्णय के विरुद्ध मुझे उनसे कोई भी शिकायत नहीं करनी है। मेरे साथीकी सहायता करनेकी इच्छा होते हुए भी आपको ऐसा करनेका अधिकार नहीं है, यह बात मैं समझता हूँ। मेरा यह भी इरादा नहीं है कि जेलके खुराक सम्बन्धी विनियमोंमें मैं कोई परिवर्तन कराने की कोशिश करूँ। मैं केवल यह