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भेंट : 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे

अनुमति दे दी है; इसलिए मैंने डाक्टर दलाल और डाक्टर जीवराज मेहताके नाम सुझाये थे। आपने उनको बुलानेका भरसक प्रयत्न किया; किन्तु फिर भी उनमें से कोई उपस्थित नहीं हो सका। मेरा आपमें पूरा विश्वास है और बीमारीकी गम्भीरताको देखते हुए मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि अविलम्ब आपरेशन कर दिया जाये।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८१२१) की फोटो-नकलसे।
 

९७. सन्देश : देशके नाम[१]

१४ जनवरी, १९२४

जब मेरा स्वास्थ्य बहुत नाजुक दौरसे गुजर रहा था, उस समय मेरे देशवासियोंने मेरे प्रति जिस उत्कट प्रेमका परिचय दिया उसका मेरे मनपर बड़ा असर हुआ। अब चिन्ताकी कोई बात नहीं रह गई है क्योंकि यहाँ[२] जो लोग चिकित्साके लिए जिम्मेदार हैं, वे अधिकसे-अधिक सावधानी बरत रहे हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १७–१–१९२४
 

९८. भेंट : 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे

पूना
१९ जनवरी, १९२४

जेल अधिकारियोंको दोष देना ठीक नहीं है। हमारी लड़ाई प्रामाणिकता के साथ चलाई जानी चाहिए। अपेन्डिक्सके रोगका निदान कठिन होता है। कर्नल मरे-जैसे सज्जन मैंने कम ही देखे हैं। वे मुझपर बहुत कृपालु रहे हैं। वे प्रामाणिक, सहानुभूतिशील और नेक व्यक्ति हैं। उनके बारेमें मेरी राय बहुत ऊँची है।

[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, २७-१-१९२४
  1. पूनामें गांधीजीके आपरेशनकी खबर सुनकर देशके कोने-कोने से उनके स्वास्थ्यके बारेमें पूछताछ को जा रही थी; उस सबका उत्तर गांधीजीने डा॰ फाटकके नाम भेजा। यह उत्तर सबसे पहले १५-१-१९२४ के बॉम्बे क्रॉनिकलमें प्रकाशित हुआ। यंग इंडियाने एक संक्षिप्त सम्पादकीय टिप्पणीके साथ "राष्ट्रका सन्ताप" शीर्षकसे इसे पुनः प्रकाशित किया था।
  2. सैसून अस्पताल, पूना।