१०४. 'भेंट : बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे
[पूना
७ फरवरी, १९२४ के पूर्व][१]
महात्मा गांधीने 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के संयुक्त सम्पादक श्री एस॰ ए॰ ब्रेलवीसे एक भेंट में कहा कि रिहाईके बाद अब मैं देशवासियोंके लिए अपने मनमें सन्देशको एक रूपरेखा बना रहा हूँ। सन्देश एक पत्रके रूपमें होगा और वह पत्र कांग्रेसके सभापति मौलाना मुहम्मद अलीके नाम होगा। सजा मिल जाने के बाद भी मैं अपने देशवासियोंको पत्रके जरिये सन्देश भेजना चाहता था। वह पत्र तत्कालीन कांग्रेस- सभापति हकीम अजमलखाँके नाम लिखा गया था। परन्तु वह उनतक न पहुँच सका क्योंकि बम्बई सरकारने मुझसे उसके कुछ अंशोंको बदलने और सुधारनेके लिए कहा और जिसके लिए मैं राजी नहीं हुआ। मैं उस पत्रको भी शीघ्र ही प्रकाशित करूँगा।
महात्मा गांधीने कहा, मुझे यह जानकर दुःख हुआ कि मुझे रिहा करनेके निश्चयका आधार मेरा दुर्बल स्वास्थ्य माना गया। मैं तो यह विश्वास करना चाहता हूँ कि मेरी रिहाईसे मेरे और मेरे कार्योंके प्रति सरकारके रुखमें परिवर्तन व्यक्त होता है और वह अनुभव करती है कि मेरे अहिंसाके उपदेशों में हिंसा नहीं छिपी है जैसा कि मेरे बहके हुए समालोचकोंने प्रचारित किया। इस बातके किसी भी संकेतका मैं हृदयसे स्वागत करूँगा कि सरकारकी समझमें यह बात आ गई है कि असहयोग आन्दोलनका मूल तत्त्व अहिंसा है।
- [अंग्रेजीसे]
- हिन्दू, ८–२–१९२४
- ↑ इसमें मुहम्मद अलीको लिखे गये जिस पत्रका उल्लेख है वह ७ फरवरीको लिखा गया था। देखिए अगला शीर्षक