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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


मुझे याद नहीं पड़ता कि मैंने श्री प्रकाशम्से यह कहा हो कि आप मुझसे पूना आकर मिल जायें। पर हाँ, मैं जितनी जल्दी हो सके आपसे मिलकर हिन्दू-मुसलमान-एकता, हिन्दू-सिख-एकता, धारासभा, अन्त्यज आदि सवालोंपर खूब बातें करना चाहता हूँ। पर यह तो तभी हो सकता है जब आप बिलकुल चंगे हो जायें और मेरी तबीयत इस लायक हो जाये कि देरतक बातचीत करनेकी मेहनत बरदाश्त कर सकूँ। यदि आपका स्वास्थ्य ठीक न हो, अथवा रेल द्वारा इतनी लम्बी यात्रा करनेसे तबीयत खराब हो जानेका अन्देशा हो तो में आपको यहाँ आनेका कष्ट दे ही कैसे सकता हूँ। और मैं चाहता हूँ कि जब आप आयें तब पूरे ३ दिनकी फुरसतसे आयें। शायद हमें जुदा-जुदा हिस्सोंमें बातें करनी पड़ें। मैं तो शायद अगले बुधवारतक बातें करनेके लायक हो जाऊँ पर यदि घावमें कुछ और टांके छिप रहे हों या कोई और चीज भर रही हो तो परमात्मा जाने

आपका,
मो॰ क॰गांधी

हिन्दी नवजीवन, १७-२-१९२४
 

१०८. तार : लाला लाजपतरायको[१]

पूना
१२ फरवरी, १९२४

धन्यवाद!मुझे अठारह बहुत अनुकूल होगी।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८३२५) की फोटो-नकल से।
  1. लाला लाजपतरायने गांधीजीको १२ फरवरी, १९२४ को यह तार भेजा था : "धन्यवाद! चौदहको चलकर अठारहको पहुँच सकता हूँ, क्या चाहते हैं तार दें।" देखिए "पत्र : लाला लाजपतरायको", ८-२-१९२४। लाला लाजपतरायने भी तारसे १७ फरवरीको पूना पहुँचकर १८ को गांधीजीसे मिलनेकी सूचना दे दी थी। (एस॰ एन॰ ८३२६)।