पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/२६१

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११२. तार : लाला लाजपतरायको[१]

[पूना
फरवरी, १९२४ या उसके पश्चात्]

खेद है आपको फिर ज्वर हो आया। आशा है जल्दी निरोग होंगे। आनेकी जल्दी नहीं। पूना आरामके लिए आयें।

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८३३३) कीफोटो-नकलसे।
 

११३. तार : चित्तरंजन दासको[२]

[पूना
१९ फरवरी, १९२४ या उसके पश्चात् ]

उल्लिखित मित्रोंसे भेंट करके प्रसन्नता होगी। भेंट होनेतक समझौते के बारेमें चुप रहूँगा।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८३५३) की फोटो-नकलसे।
 

११४. पत्र : नरहरि परीखको

गुरुवार [२१ फरवरी, १९२४][३]

भाईश्री नरहरि,

आपका उपवास समाप्त हो गया यह जानकर मुझे प्रसन्नता हुई। जिस समय यह पत्र लिख रहा हूँ उस समय भाई लक्ष्मीदास, रामजी और गंगाबहन पास बैठे हैं। उपवासका नशा हमें मजबूत रखता है किन्तु उसके बाद उसके उतारकी अवस्था

  1. यह लाला लाजपतरायके १५ फरवरी १९२४ के इस तारके उत्तरमें भेजा गया था : "कल बुखार आ गया‌। रवाना न हो सका। फिर तार दूँग।"
  2. यह चित्तरंजन दासके १९ फरवरी १९२४ के इस तारके उत्तर में दिया गया था, "मोतीलाल और मैं साथ-साथ आ रहे हैं। उनको तारीख तय करनेके बारेमें तार दिया है। इच्छा है हिन्दू-मुस्लिम समझौते के बारेमें मेरी बात सुनकर सलाह दें। सुझाव है मोतीलाल, मैं, लाजपत और मालवीय आपकी उपस्थितिमें बात करें।"
  3. गांधीजीने इससे पहला पत्र १३ फरवरीको, जब परीखका उपवास चल रहा था, लिखा था। स्पष्ट है कि यह गुरुवार उसके बाद आनेवाले सप्ताहका है।