पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/२६३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

११७. खुली चिट्ठी : अकालियोंके नाम[१]

[पूना
२५ फरवरी, १९२४]

प्रिय देशबन्धुओ,

मुझे यह जानकर अत्यन्त दुःख हुआ है कि नाभाके प्रशासक के हुक्मसे एक अकाली जत्थेपर गोलियाँ चलाई गई, जिसमें बहुतसे लोग मारे गये और घायल इससे भी अधिक हुए।[२] अपने पास आये तारोंके जवाब में हमदर्दी प्रदर्शित करनेके अतिरिक्त मैं और कुछ कहना या करना नहीं चाहता था। क्योंकि कर्नल मँडॉकने मेरी बीमारीमें मेरे साथ हर तरहसे सहानुभूति दिखाई है और मैं देशकी परिस्थितिसे जानकारी रखने के लिए जो थोड़ा-बहुत परिश्रम करता हूँ वह उनकी इच्छा के विरुद्ध है। अभी जीरासे मुझे निम्नलिखित तार मिला है—"स्वास्थ्यका खयाल किये बिना तुरन्त आकर अकाली जत्था रोकें"। इसलिए इस दुःखद घटनापर कुछ कहे बिना मुझसे नहीं रहा जा सकता। तार भेजनेवालेको मैं नहीं जानता। पर अगर मेरी हालत जाने लायक होती तो मैं जरूर पहुँच जाता। मेरा घाव अभी भरा नहीं है इसलिए ऐसी यात्रा करना मेरे लिए शारीरिक दृष्टिसे असम्भव है। इसलिए उसके अलावा मुझसे जो बन सकता है, वह कर रहा हूँ। मुझे अकाली सिखोंको इस बातका विश्वास दिलानेकी शायद ही जरूरत होगी कि जो वीर मारे गये हैं और जो बहुतसे घायल हुए हैं उनके बारेमें मेरी हमदर्दी है। मेरे सामने इस समय पूरा ब्योरा नहीं है। इसलिए मैं यह नहीं कह सकता कि गंगसरके गुरुद्वारेमें दर्शन करनेके लिए जत्थाबन्द लोगोंका जैतोंसे कूच करके जाना उचित था या अनुचित। परन्तु अकाली सिखोंसे मेरा यह कहना है कि वे उन नेताओंसे सलाह-मशविरा किये बिना, जो सिख नहीं हैं, पर जिनकी सलाह से वे अबतक काम करते आये हैं, आगे कोई जत्था न भेजें। इस बातकी राह देख लेना भी उचित है कि यह दुःखद घटना क्या रंग लाती है। मुझे एक ऐसा भी तार मिला है जिसमें कहा गया है कि जत्था अन्ततक पूर्णरूपसे अहिंसक बना रहा। आप आरम्भसे ही यह दावा करते रहे हैं कि आपका आन्दोलन पूरी तरह अहिंसात्मक और धार्मिक है। मैं चाहूँगा कि हममें से हर व्यक्ति अहिंसा के सभी अभिप्रायोंको समझ ले।

  1. यह प्रायः सभी पत्रोंमें प्रकाशित किया गया था ।
  2. २१ फरवरी, १९२४ को जैतोंमें सिखोंके एक जलूसपर गोली चलाई गई। जलूसमें ५०० अकालियोंका एक जत्था भी शामिल था जो अमृतसरसे ३ हफ्ते चलकर १९२१ की ननकाना घटनाकी वार्षिक तिथि मनाने आया था। हताहतोंकी संख्या अधिकृत अनुमानसे २१ मृत और ३३ घायल थी। देखिए इंडिया इन १९२३-२४।

२३-१५