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वक्तव्य : समाचारपत्रोंको अकालियोंके नाम खुल्ली चिट्ठीपर

आदि मेहनतके काम वे हमें नहीं करने देते थे। अपने अनुभवोंमें मुझे उनके बारेमें अधिक कहना पड़ेगा, फिर भी गंगप्पाके नामका उल्लेख किये बिना मैं नहीं रह सकता। वह मेरे लिए एक अति कुशल नर्सका काम देता था। वह मेरे बारेमें हर तरहकी सावधानी रखता था और उसमें मेरी प्रत्येक जरूरतको पहलेसे ही जान लेनेकी क्षमता थी। रातको किसी भी समय वह मेरी सेवा करनेके लिए तत्पर रहता था। अपने प्रेमपूर्ण स्वभाव, पूरी ईमानदारी और साधारणतया जेलके अनुशासन और नियमों के पालन इत्यादि गुणोंके कारण वह मेरी प्रशंसाका पात्र बन गया था। इतना उदात्त चरित्र प्रकट करने की क्षमता रखनेवाले व्यक्तिको समाज किस प्रकार दण्ड दे सकता है। और सरकार उसे किस प्रकार कैदमें रख सकती है, इसपर मुझे अचम्भा होता है। गंगप्पा निरक्षर है। वह राजनीतिक कैदी नहीं है। उसे हत्या अथवा ऐसे ही किसी अपराधके लिए सजा हुई थी। परन्तु इस विषयको मैं फिलहाल छोड़ता हूँ। इसपर विचार करना मुझे भविष्य के लिए स्थगित करना होगा। मैंने गंगप्पाका जो उल्लेख किया है सो केवल उस जैसे अपने कैदी साथियोंके प्रति प्रशंसाके दो शब्द कहने के लिए ही किया है।

मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २८-२-१९२४
 

१२०. वक्तव्य : समाचारपत्रोंको अकालियोंके नाम खुली चिट्ठीपर

[पूना
२८ फरवरी, १९२४]

मैंने २८ फरवरीके 'बॉम्बे क्रॉनिकल' में प्रकाशित जैतोंकी दुःखद घटनाके बारेमें कुछ पंक्तियाँ अभी-अभी पढ़ीं। उनमें कहा गया है कि मेरी अकालियोंके नाम लिखी गई खुली चिट्ठी गलत जानकारीपर आधारित है और लोगोंको सन्देह है कि यह गलत जानकारी बहुत करके लाला लाजपतरायने दी है। लालाजी के साथ न्यायकी दृष्टि- से मैं कहना चाहता हूँ कि लालाजीके मुझसे मिलने के पहले ही मैं इस दुःखद घटनाके सम्बन्ध में सब कुछ पढ़ चुका था। मुझे तार द्वारा पंजाब आनेका निमन्त्रण मिला। मैंने यह तार लालाजीको दिखाने के पहले ही अपनी यह राय बना ली थी और क्या कहना है यह सोच लिया था। जो सोचा था, वक्तव्य उसीके अनुसार दिया गया। जीरासे मुझे तार मिला कि आप आकर अकाली जत्थेको रोकें। मैं वहाँ किसीको नहीं जानता था और चाहता जरूर था कि मेरी सलाह यथासम्भव शीघ्र ही अकाली सिखोंतक पहुँच जाये। इसलिए मैंने वह खुली चिट्ठी भेजी। वह केवल समाचार-पत्रोंसे उपलब्ध जानकारी तथा अपनी रिहाईके बाद मैंने देशमें मन, वचन, और कर्मसे