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१२६. पत्र : सिख मित्रोंको

[पूना]
४ मार्च, १९२४

प्रिय मित्रो,

आपके जानेके बाद मुझे पण्डित मोतीलालजीसे मालूम हुआ कि अकालियोंके मुकदमे के मामले में शि॰ गु॰ प्र॰ [समिति] वास्तवमें अभियुक्तोंका बचाव कर रही है। मुझे यह भी मालूम हुआ है कि अकालियोंने स्वर्ण मन्दिरके अहाते में बने हुए एक हिन्दू मन्दिरको नष्ट कर दिया है और धर्मको इसका कारण बताया है। मैं चाहता हूँ कि आप अपने पत्र में, जिसको लिखनेका आपने वादा किया है, इन सब प्रश्नोंकी चर्चा करेंगे।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (जी॰ एन॰ ३७६७) की फोटो-नकलसे।
 

१२७. पत्र : मुहम्मद अलीको

सैसून अस्पताल
पूना
५ मार्च, १९२४

प्यारे दोस्त और भाई,

आपके दुःख में मेरी पूरी सहानुभूति आपके साथ है। अमीनाकी बीमारीका दुःखद ब्योरा यातने मुझे लिखा है।[१] मैंने अखबारमें भी पढ़ा था कि आप सिन्धके खिलाफत सम्मेलन में भाग नहीं ले सके । इसी बातसे जाहिर होता है कि वह कितनी बीमार है। ईश्वर हमारी परीक्षा कई तरहसे लेता है। वह जानना चाहता है कि उसका बन्दा जिन तकलीफोंसे बचा रहना चाहता है, वे अगर आ ही पड़ें तो उस समय उसका क्या आचरण होगा। मैं जानता हूँ कि परिणाम चाहे कुछ भी हो, आप इस परीक्षामें खरे उतरेंगे। अमीनाको मेरी ओरसे ढाढ़स बँधायें और कहें कि जिनका भगवान् में विश्वास है, उन्हें भगवान् चाहे धरतीपर रखे चाहे उठा ले, दोनों स्थितियों में उनका कल्याण है। मैं जानता हूँ कि आपकी बहादुर बीवी इस संकटकी घड़ीमें वही करेंगी जिसकी उनसे आशा की जाती है।

  1. अलीगढ़ राष्ट्रीय विश्वविद्यालयके एच॰ एम॰ हयातने २८ फरवरीको गांधीजीको पत्र लिखा था। मुहम्मद अलीको बेटी अमीनाका स्वर्गवास इसके एक महीने बाद हुआ था।