यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४३
अकालियोंको सलाह
उसे बुला लेना। यह तो मैंने एक सुझावके रूपमें कहा; स्थितिको देखते हुए जो कुछ हो सके वह करना।
मैं सम्भवतः मंगलवारको जुहू पहुँचूँगा। अभी घावसे कुछ रक्त बहता है।
बापूके आशीर्वाद
- मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ६०४२) से।
- सौजन्य : राधाबहन चौधरी।
१३६. पत्र : मगनलाल गांधीको
[८ मार्च, १९२४के पश्चात्][१]
चि॰ मगनलाल,
- यदि तुमने कुत्तोंके सम्बन्ध में 'महाजन'[२] को अभीतक पत्र न लिखा हो, तो लिख देना।
- चोरियाँ रोकनेके सम्बन्धमें चौकीदारोंसे सलाह करना।
- आसपास के गाँवोंमें किसीको भेजने के सम्बन्धमें विचार करना।
- जैसे प्रार्थनामें आना अनिवार्य है वैसे ही १०-४५ बजे भोजनके लिए आना अनिवार्य मानना।
बापू
- मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ६०४३) से।
- सौजन्य : राधाबहन चौधरी
१३७. अकालियोंको सलाह[३]
[९ मार्च, १९२४][४]
१. मेरी राय में पूरे अकाली आन्दोलनकी सफल समाप्ति के लिए यह बात नितान्त आवश्यक है कि अकाली अपनी न्यूनतम माँगकी साफ-साफ घोषणा कर दें। ऐसा करनेपर ही सब लोगोंकी और सहानुभूति प्राप्त होगी। और सो भी तब जब
- ↑ गांधीजीने मगनलालको ८ मार्च, १९२४ को लिखे गये पत्रमें कुछ मुद्दे उठाये थे। यह पत्र सम्भवतः उनकी याद दिलानेके लिए उसके बाद कभी लिखा गया था।
- ↑ पिंजरापोलके व्यवस्थापक।
- ↑ सरदार मंगलसिंह के नेतृत्वमें एक शिष्ट मण्डलने पूनामें गांधीजीसे एक सप्ताहतक बातचीत की थी।
- ↑ साधन-सूत्रके अन्तिम अनुच्छेदपर यही तारीख पड़ी है। वास्तवमें यह अनुच्छेद अगले शीर्षकमें आया है। जान पड़ता है दोनों शीर्षक एक ही दिन लिखे गये थे।