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अकालियोंको सलाह

उसे बुला लेना। यह तो मैंने एक सुझावके रूपमें कहा; स्थितिको देखते हुए जो कुछ हो सके वह करना।

मैं सम्भवतः मंगलवारको जुहू पहुँचूँगा। अभी घावसे कुछ रक्त बहता है।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ६०४२) से।
सौजन्य : राधाबहन चौधरी।

१३६. पत्र : मगनलाल गांधीको

[८ मार्च, १९२४के पश्चात्][१]

चि॰ मगनलाल,

  1. यदि तुमने कुत्तोंके सम्बन्ध में 'महाजन'[२] को अभीतक पत्र न लिखा हो, तो लिख देना।
  2. चोरियाँ रोकनेके सम्बन्धमें चौकीदारोंसे सलाह करना।
  3. आसपास के गाँवोंमें किसीको भेजने के सम्बन्धमें विचार करना।
  4. जैसे प्रार्थनामें आना अनिवार्य है वैसे ही १०-४५ बजे भोजनके लिए आना अनिवार्य मानना।

बापू

मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ६०४३) से।
सौजन्य : राधाबहन चौधरी
 

१३७. अकालियोंको सलाह[३]

[९ मार्च, १९२४][४]

१. मेरी राय में पूरे अकाली आन्दोलनकी सफल समाप्ति के लिए यह बात नितान्त आवश्यक है कि अकाली अपनी न्यूनतम माँगकी साफ-साफ घोषणा कर दें। ऐसा करनेपर ही सब लोगोंकी और सहानुभूति प्राप्त होगी। और सो भी तब जब

  1. गांधीजीने मगनलालको ८ मार्च, १९२४ को लिखे गये पत्रमें कुछ मुद्दे उठाये थे। यह पत्र सम्भवतः उनकी याद दिलानेके लिए उसके बाद कभी लिखा गया था।
  2. पिंजरापोलके व्यवस्थापक।
  3. सरदार मंगलसिंह के नेतृत्वमें एक शिष्ट मण्डलने पूनामें गांधीजीसे एक सप्ताहतक बातचीत की थी।
  4. साधन-सूत्रके अन्तिम अनुच्छेदपर यही तारीख पड़ी है। वास्तवमें यह अनुच्छेद अगले शीर्षकमें आया है। जान पड़ता है दोनों शीर्षक एक ही दिन लिखे गये थे।