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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

शहीदी जत्था

जो जत्था इस समय जैतों जा रहा है यदि मैं उसकी रवानगी से पहले अकाली मित्रोंसे मिल लेता, तो उन्हें जो कुछ कहना था उस सबको सुन लेनेके बाद भी मैं अपनी इसी सलाहपर कायम रहता कि स्थितिको तोले और उसपर पूरी तरह सोच-विचार किये बिना जत्थेको भेजना नहीं चाहिए। उक्त सज्जनोंको मुझसे मिलने आने में जो देर हुई उसका दोष मैं किसीपर डालना नहीं चाहता और यदि किसीको दोष देना ही हो तो वह मुझको ही दिया जाना चाहिए, क्योंकि मैंने अपने सन्देशका पूरा पाठ एसोसिएटेड प्रेसके प्रतिनिधिको देने के साथ-साथ उसे तार द्वारा शि॰ गु॰ प्र॰ समितिको भेजनेकी सावधानी नहीं बरती। मैं इस गलतफहमी में था कि निजी तारोंसे अखबारोंके तार पहले भेजे जाते हैं। इसलिए एसोसिएटेड प्रेसका तार समिति के पास जल्दी पहुँचेगा। मैं सार्वजनि धन बचानेकी चिन्तामें एक गलती कर बैठा। यदि मैं पंजाब जा सकता और स्थितिको अपनी आँखोंसे देख सकता तो जत्थे के अपने गन्तव्य स्थानके समीप पहुँच जानेपर भी मैं उसे वापस बुला लेने की सलाह देनेमें न झिझकता, ताकि हम स्थितिको तोल सकें और ऐसे कदम उठा सकें जो मेरे विचारानुसार आगे सीधी कार्रवाई करनेसे पहले उठाने जरूरी हैं। परन्तु मैं बीमारीकी हालतमें बिस्तरेमें पड़ा पड़ा वापसीकी सलाह देनेकी जिम्मेदारी नहीं ले सकता। मैं यह भार उन मित्रों-पर भी नहीं डाल सकता जो गुरुद्वारेके मामलेमें मुझसे बातचीत करने आये हैं। इसलिए ऐसी परिस्थितिमें मेरा खयाल है कि जत्थेको अपने गन्तव्य स्थानकी तरफ बढ़ने देना ही उचित होगा। मुझे मालूम हुआ है कि प्रशंसकोंकी भीड़ या अन्य लोगोंको जत्थे के पीछे न आने देने या उसके साथ-साथ न चलने देनेकी पूरी सतर्कता बरती गई है। मुझे यह भी मालूम हुआ है कि जत्थेको गम्भीरसे-गम्भीर उत्तेजनाके बावजूद पूरी तरह अहिंसात्मक रुख अपनाने और कायम रखनेकी कड़ी हिदायतें दे दी गई हैं। यह सब तो ठीक ही हुआ।

लेकिन मुझे यह भी मालूम हुआ है कि जत्थेमें शामिल लोगोंको यह निर्देश दिया गया है कि यदि राज्यकी सीमासे निकल जानेका आदेश मिले तो वे उसका उल्लंघन करें और यह निर्देश भी दिया गया है कि वे राज्यके सैनिकोंके सामने एक दूसरेका हाथ पकड़कर ठोस दीवार की तरह खड़े हो जायें और उनपर जो गोलियाँ चलाई जायें उन्हें अदम्य साहस और निष्ठासे अपने ऊपर झेलें। इसके पीछे विचार यह है कि अब छोटे-मोटे कष्टोंको न सहा जाये और बलात् निर्वासनकी यातनाको बढ़ाया न जाये, बल्कि जत्थेका प्रत्येक सदस्य किसी प्रकारका प्रतिरोध किये बिना अपनी जगहपर शान्त भावसे प्राण त्यागकर इस यातनाका अन्त करे। यह योजना बहुत ही ऊँची और साहसपूर्ण भावनासे बनाई गई है। योजना बनानेवालों और जिनपर इसके कार्यान्वित किये जानेका दायित्व है उन दोनोंकी बहादुरीपर शंका नहीं की जा सकती और यदि नाभा के अधिकारी जत्थेपर तबतक गोलियाँ बरसानेकी मूर्खता करें जबतक कि उसका एक-एक सदस्य अपनी जगहपर ढेर न हो जाये, तो इससे निश्चय ही सारी मानव-जाति चकित हो जायेगी, संसार रोमांचित हो उठेगा