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पत्र : ए॰ ए॰ वॉयसेको

सीमित है, तथापि मैं आपके इस विचारसे सहमत हूँ कि भारतमें अहिंसा के सिद्धान्तपर आधारित जो साधन अपनाये जा रहे हैं वे समान परिस्थितियोंमें समूचे संसारके लिए व्यवहार्य हैं और यदि हम अहिंसक उपायोंसे सच्ची स्वतन्त्रता प्राप्त करके दिखा दें तो शेष संसारको जीवनके प्रत्येक क्षेत्रमें अहिंसाकी अपराजेयतापर विश्वास करनेमें कोई कठिनाई नहीं होगी।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

श्री इविन बैकटे
बुडापेस्ट (हंगरी)

अंग्रेजी पत्र ( जी॰ एन॰ २८३१) की फोटो नकल तथा एस॰ एन॰ ८४९३ से।
 

१४८. पत्र : ए॰ ए॰ वॉयसेको

पोस्ट अन्धेरी
१५ मार्च, १९२४

प्रिय श्री वॉयसे,

आपके १४ फरवरीके पत्रके लिए धन्यवाद।

आपको यह जानकर खुशी होगी कि घाव पूरी तरहसे भर गया है, और मैं अब समुद्र के किनारे एक विश्रामगृहमें स्वास्थ्य लाभ कर रहा हूँ। आपने जो पत्र[१] लिखनेका वायदा किया है मैं उसकी प्रतीक्षा करूँगा। अगर आप मेरे इस पत्रके प्राप्त होने के बाद पत्र लिखें तो बेहतर होगा कि आप उसे मेरे स्थायी पते अर्थात् साबरमती, अहमदाबाद के पतेपर भेजें।

आपके अनुग्रहपूर्ण विचारोंके लिए साभार,

हृदयसे आपका,

श्री ए॰ ए॰ वॉयसे
सेंट इसीडोर
प्रेस नाइस (फ्रान्स)

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८४९४) की फोटो-नकलसे।
  1. इस पत्र में वॉयसेने भारतमें उनके कायको सच्चे रूपमें विश्वव्यापी और समस्त मानवताके हितका कार्य बताया था और कहा था कि "आपके ऊपर ईश्वरका वरदहस्त है और आप बड़े सौभाग्यशाली हैं।" (एस॰ एन॰ ८३२९)