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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

खाली नहीं है इसलिए अगर तनहाई दरकार है तो जनाबको नीचेका कोई कोना दे दिया जायेगा। लेकिन अफसोस, काठियावाड़से देवचन्द पारेखने जो खबर अभी-अभी दी है उसके मुताबिक गुजरातका तानाशाह वल्लभभाई आपको काठियावाड़ रवाना कर रहा है।

मेरी तबीयत सुधरती जा रही है। रोज कुछ-न-कुछ काम भी कर ही गुजरता हूँ। मगर अभी ज्यादा मेहनत नहीं कर सकता।

बेगम साहिबा कैसी हैं? लड़कियाँ कहाँ हैं? वे क्या कर रही हैं? देवदासने बताया कि फातिमाकी शादी हो चुकी है। किससे हुई? दोनों खुश तो हैं? वे कहाँ रह रहे हैं? दामाद क्या करता है? बात यह है कि आपके परिवारके सभी लोगों में मुझे दिलचस्पी है, क्योंकि एक अरसेसे मैं उसका एक सदस्य ही बन गया हूँ। इस घरेलू चिट्ठीको दूसरेसे लिखवा रहा हूँ इसका खयाल न कीजिएगा। जितना चाहता हूँ उतना नहीं लिख पाता; हाथ काँपता है। चूंकि मेरा मन काफी लम्बी चिट्ठी लिखनेका था और न लिखने और बोलकर लिखवाने के बीच फैसला करना जरूरी हो गया, और मैंने लिखवाना ही मुनासिब समझा।

सबको प्यार और आपको प्यारके अलावा 'भुर्र'[१]

आपका,
मो॰ क॰ गां॰

श्री अब्बास तैयबजी
बड़ौदा कैम्प

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ९५९५) की फोटो-नकलसे।
 

१५७. पत्र : जवाहरलाल नेहरूको

पोस्ट अन्धेरी
१५ मार्च, १९२४

प्रिय जवाहरलाल,

तुम्हारा पत्र[२] मिला। पणिक्करके सम्बन्धमें तुम्हारा और मुहम्मद अलीका, दोनों तार पहले ही मिल गये थे। तुम्हारे पत्रसे मैं कुछ परेशानी में पड़ गया हूँ। नियुक्तियाँ और वेतन निर्धारण आदिके बारेमें कोई निश्चित मत बनानेका न मेरा इरादा कभी

  1. गांधीजी तथा तैयबजी एक-दूसरेका स्वागत इस अनोखे ढंगसे किया करते थे।
  2. प्रतीत होता हैं कि गांधीजीने १२ मार्चको पंडित जवाहरलाल नेहरूको तार दिया था। उक्त तार उपलब्ध नहीं है। श्री नेहरूने १३ मार्चको इसका उत्तर दिया। उन्होंने लिखा था : "श्री पणिक्कर प्रसिद्ध व्यक्ति हैं। मैं कई वर्षोंसे उन्हें जानता हूँ। कोकोनाडामें कुछ समयके लिए मैं उनसे मिला भी हूँ। मुझे विश्वास है कि अमृतसर में उनकी उपस्थिति उपयोगी सिद्ध होगी। उनमें एक कमी अवश्य है कि वे हिन्दुस्तानी नहीं जानते, लेकिन उनकी अन्य अनेक योग्यताएँ इस कमीको बखूबी पूरा कर देंगी। प्रचार कार्यके लिए वे अत्यन्त उपयोगी व्यक्ति साबित होंगे। भाषा-सम्बन्धी कठिनाईके कारण, शायद वे सिखों और हिन्दुओंको एक-दूसरेके समीप लानेमें बहुत अधिक सहायक नहीं होंगे। लेकिन कुल मिलाकर श्री पणिक्कर अमृतसर के लिए एक उपलब्धि ही होंगे। जहाँतक नौकरीकी शर्त तथ करनेकी बात है, आप जो कुछ भी उचित समझेंगे वह निःसन्देह, सब लोगोंको मान्य होगा। जहाँतक कार्य समितिकी विधिवत् बैठककी बात है, वह २१ अप्रैलतक न हो सकेगी। आपके तारमें नौकरीको जिन शर्तोंके सुझाव हैं वे कुछ हदतक पेचीदा हैं। लेकिन यह तो आपके तय करने की बात है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि श्री पणिक्कर अमृतसर में लम्बे समयतक रहने का इरादा रखते हैं। वैसे मेरा निजी खयाल यह है कि वहाँ उन्हें ज्यादा असेंतक रहना आवश्यक न होगा। बहुत सम्भव है कि गिडवानी शीघ्र ही रिहा हो जायें और यह भी उतना ही सम्भव है कि गिडवानीका उत्तराधिकारी [श्री पणिक्कर] भी जल्दी ही गिरफ्तार कर लिया जाये। निःसन्देह श्री पणिक्कर अकारण ही कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे उन्हें जेल जाना पड़े, लेकिन श्री गिडवानीने भी तो ऐसा नहीं किया था।"