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पत्र : जवाहरलाल नेहरूको

रहा है और न इस समय है। चूँकि मैं जोजेफके इस विचारसे सहमत था कि पत्नी जब इतने कष्टमें है तब उनका उसके पास रहना जरूरी है और चूँकि जो सिख भाई मुझसे मिलने आये, वे इस बातके लिए बहुत उत्सुक जान पड़े कि गिडवानीके स्थानपर कोई अच्छा व्यक्ति मिल जाये, ऐसा व्यक्ति जो उनके पत्र 'ऑनवर्ड' का सम्पादन-भार भी सँभाल ले, इसलिए मैं उसकी तलाशमें था। वे सुन्दरम्को लेना चाहते थे, जो 'इंडिपेंडेंट' में काम करते थे; और उन्होंने कहा कि वे प्रचार कार्य और सम्पादन दोनों कर सकते हैं। जब मैं अन्धेरीके निकट स्थित विश्राम गृहमें आया तो यहीं पणिक्करसे मेरी मुलाकात हो गई। श्री पणिक्करको 'इंडियन डेली मेल' ने अपने यहाँ नौकरी करनेको आमन्त्रित किया था। वे श्री एन्ड्रयूजसे इसी सम्बन्धमें सलाह-मशविरा करने आये थे। वे इस नौकरीको स्वीकार करनेमें हिचकिचा रहे थे, क्योंकि 'मेल' का राजनीतिक दृष्टिकोण उनके विचारोंसे भिन्न था। तब मुझे प्रचार-कार्यका ध्यान आया और मैंने उनसे पूछा कि क्या वे इस भारको सँभाल सकेंगे। चूंकि मैं उन्हें अच्छी तरहसे नहीं जानता था, मैंने श्री एन्ड्रयूजसे भी सलाह की, और जब श्री पणिक्करने यह कहा कि अगर नेहरूजीको जरूरत है तो मैं अमृतसर जा सकता हूँ। और चूँकि श्री एन्ड्रयूजकी राय थी कि वे श्री गिडवानीके स्थानपर योग्य ठहरेंगे, मैंने तुम्हें तार कर दिया। लेकिन मेरी यह इच्छा नहीं थी कि तुम सिर्फ इसलिए अपने निर्णयमें कोई रद्दोबदल करो कि तार मैंने भेजा है। यदि में स्वस्थ होता और सभी तथ्योंकी जानकारी पा सकता तो मैं उम्मीदवारोंके चुनाव के सम्बन्धमें, बेशक, अपनी सलाह और विचार व्यक्त करता। लेकिन इस समय तो मैं उन चन्द बातोंके अलावा, जो अत्यन्त आवश्यक हैं, और किसी भी बातमें अपनी शक्ति नहीं लगाना चाहता।

जहाँतक वेतनका सवाल है, स्थिति यह थी। पणिक्कर 'स्वराज्य' कार्यालय में ७०० रुपये माहवारपर नियुक्त हुए थे, लेकिन चूँकि पत्र आत्मनिर्भर नहीं है, वे लोग इन्हें कुछ महीनोंका वेतन नहीं दे पाये हैं। श्री पणिक्करने नौकरी छोड़ दी, क्योंकि