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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस सवालपर श्री श्रीनिवास आयंगारसे उनका समझौता नहीं हो पाया। उन्हें मद्रासमें ९०० रुपयेका एक कर्ज चुकाना है। उन्हें ३०० रुपये माहवारकी जरूरत है। इसलिए मैंने सोचा उन्हें ९०० रुपये पेशगी दे दिये जायें तो वे अपना कर्ज चुकाकर अमृतसरके लिए रवाना हो जायेंगे। अमृतसरमें अपना खर्च चलाने के लिए तो उन्हें फिर भी पैसोंकी जरूरत होगी ही। इसके लिए उन्हें ऋणके रूपमें १०० रुपया प्रतिमास दिया जाना चाहिए। इस तरह तीन महीने नौकरी करने के बाद वे कांग्रेसके ३०० रुपये कर्जदार होंगे। फिर यह रकम १०० रुपये प्रतिमासके हिसाब से उनके वेतनसे ली जा सकती है। इसका अर्थ यह हुआ कि उन्हें जो कर्ज मिलेगा उसे चुकाने के लिए उन्हें छः महीनेतक काम करना होगा। लेकिन अब मैं परेशानी में पड़ गया हूँ, क्योंकि तुम्हारे पत्रसे पता चलता है कि इतने असके लिए शायद उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं पड़ेगी। मैं कांग्रेसपर व्यर्थका खर्च लादनेका निमित्त नहीं बनना चाहूँगा। इसलिए मैं सारी स्थिति श्री पणिक्करके सम्मुख रख देना चाहता हूँ। वे शायद इस बातपर सहमत हो जायेंगे कि अगर उनकी नौकरी छः महीने से पहले ही खत्म हो गई तो वे कर्जकी बकाया रकम अदा करनेके लिए जिम्मेदार होंगे। वे इस समय यहाँ नहीं हैं, अन्यथा मैं तुम्हें अधिक निश्चित पत्र भेजता।

मेरा खयाल है, मुमकिन हुआ तो तुम नहीं चाहोगे कि मैं नौकरीकी बाबत पणिक्करके साथ तय हुई बात तोड़ दूँ, इसीलिए उस बातको बरकरार रखकर मैं उन्हें कल अमृतसर भेज रहा हूँ। तुम्हारे सबसे आखिरी तारके मुताबिक वे सीधे अमृतसर जायेंगे। मैं श्री पणिक्करको जो रकम दूँगा, तुम खजांचीसे वह रकम फिर मुझे वापस देने को कह देना।

निश्चय ही अगर मेरा इरादा तुमसे अपने विचारोंके अनुसार काम करानेका हो तो मैं तुमसे हर नियुक्ति के बारेमें दो बातोंको ध्यान में रखकर फिरसे विचार करनेके लिए कहूँगा : (१) क्या कांग्रेसको कांग्रेससे बाहर के कार्यपर पैसा खर्च करना चाहिए? (२) कांग्रेसको अपने सेवकोंको अधिकसे-अधिक कितना वेतन देना चाहिए?

यह तो हुई काम-काजकी बात। मेरा घाव पूरी तरह भर गया है, लेकिन चीरेकी जगह अभी नरम है और उसके बारेमें देखभाल और सावधानी रखना जरूरी है। अभी जो मैं समुद्र-तटपर आराम ले रहा हूँ; आशा है वह अनुकूल पड़ेगा। इसलिए सामान्यतया यहाँ तीन महीने रहनेका इरादा करता हूँ। इस अवधि में मुझसे जितना हो सकेगा उतना ही लिखनेका काम करूँगा और कौंसिल प्रवेश आदिके सम्बन्धमें नेताओंसे सलाह-मशविरा करता रहूँगा। इस महीने के अन्ततक (तुम्हारे) पिताजी, हकीमजी और अन्य लोगोंके यहाँ आनेकी आशा है। मेरे साथ सलाह-मशविरा करने के लिए जब भी तुम्हारी इच्छा हो तुम निःसंकोच यहाँ आ जाया करो। चाहे जो हो, मुझे उम्मीद है कि तुम अगले महीनेकी २० तारीखके आसपास तो मुझसे मिलने आओगे ही, क्योंकि मुझे मालूम हुआ है कि इस तारीखको कांग्रेस कार्य समितिकी बैठक होनेवाली है। मुझे विश्वास है, तुम स्वस्थ हो और अपने स्वास्थ्यका पूरा ध्यान रख रहे हो।