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१५९. तार : पूर्व आफ्रिकी भारतीय कांग्रेसको[१]

[१५ मार्च, १९२४ को या उसके पश्चात्]

कांग्रेस
मोम्बासा

[यह जानकर] प्रसन्नता हुई कि समाज कष्ट सहनका कार्यक्रम लेकर आगे बढ़ रहा है। वह जारी रहा तो आपकी सफलता निश्चित है। खेद है किसीको नहीं भेज सकता। एन्ड्रयूज भी सहमत।[२]

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ९९२६) की फोटो नकलसे।
 

१६०. तार : सरोजिनी नायडूको[३]

[१६ मार्च, १९२४ के पूर्व][४]

कृपया जनरल स्मट्स और अन्य जिम्मेदार यूरोपीयोंसे कहें कि वहाँके भारतीयोंने अपने विरुद्ध चल रहे स्वार्थपूर्ण आन्दोलनके दौरान जिस अनुपम आत्म-संयमका परिचय दिया है, वर्ग क्षेत्र विधेयक (क्लास एरिया बिल)[५] उसका उचित पुरस्कार नहीं माना जा सकता। यूरोपीय लोग याद रखें कि भार- तीयोंके भावी प्रवास -सम्बन्धी प्रशासनिक प्रतिबन्धको वहाँ भारतीयोंने स्वेच्छासे

  1. यह तार पूर्व आफ्रिकी भारतीय कांग्रेसके १५ मार्चके तारके उत्तरमें दिया गया था। तारमें कहा गया था : "कर-बन्दी चल रही है। सरकार द्वारा निर्दयतापूर्वक गिरफ्तारियाँ, सम्पत्तिकी कुर्की। कृपया चार कार्यकर्ताओंको भेजें। एन्ड्रयूज, वल्लभभाई, महादेवभाई और देवदासका भेजा जाना अच्छा रहेगा। आप ठीक होनेके बाद केनिया आये।"
  2. तारके मसविदेके अन्तमें गांधीजी ने लिखा था : "एन्ड्यूज इस तारको पढ़ लें और यदि उन्हें ठीक लगे तो कल आगे भेज दें।"
  3. सरोजिनी नायडू (१८७९-१९४९ ); कवयित्री, सामाजिक कार्यकर्त्ती, कांग्रेसकी प्रथम महिला अध्यक्षा, १९२५; वे इस समय दक्षिण आफ्रिकामें थीं।
  4. १६-३-१९२४ के गुजरातीके अंकमें इस तारका अनुवाद दिया गया है।
  5. विधेयक यद्यपि खास तौर से भारतीयोंको लक्ष्य करके नहीं बनाया गया था, फिर भी इसमें ऐसी व्यवस्थाएँ थीं जिनका उपयोग शहरी इलाकोंमें एशियाइयोंके अनिवार्य पृथक्करणके लिए पूरी तरह किया जा सकता था, और "इससे अनेक भारतीय व्यापारी पूरी तरह बरबाद हो जा सकते थे...।" १९२४ में दक्षिण आफ्रिकी विधान सभाके अचानक भंग हो जानेके फलस्वरूप यह विधेयक उस साल पास नहीं हो पाया।