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पत्र : बाबू हरदयाल नागको

नहीं सकती। मुझे अपना कोई स्वार्थ-साधन नहीं करना है, और न मेरी ऐसी कोई सांसारिक महत्त्वाकांक्षा है जिसकी पूर्ति करनी हो। ईश्वरका साक्षात्कार ही मेरे जीवनका एकमात्र उद्देश्य है, और मैं दुनियाको जितना ही अधिक देखता हूँ तथा उसके बारेमें जितने अधिक अनुभव होते जाते हैं, उतना ही मैं महसूस करता हूँ कि इस प्रेरणाको ग्रहण करनेका तरीका जुदा-जुदा हुआ करता है। ठीक उसी प्रकार जैसे सूर्य तो एक ही है फिर भी हम उसे भूमध्य रेखाके प्रदेशों, समशीतोष्ण प्रदेशों तथा शीत प्रदेशोंसे विभिन्न रूपोंमें देखते हैं। किन्तु मैं आपसे तर्क नहीं कर रहा हूँ। मेरी जो गहरी धारणा बन गई है, उसे ही मैंने व्यक्त किया है।

जिन मित्रोंसे मुझे वहाँ परिचय प्राप्त करनेका सौभाग्य मिला था, कृपया उन्हें मेरी याद दिलायें।

हृदयसे आपका,

श्री ए॰ डब्ल्यू॰ बेकर
हिलस्ट
पोस्ट ऑफिस नाथं रैंड
ट्रान्सवाल

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८५२८) तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१२८ से।
 

१६९. पत्र : बाबू हरदयाल नागको

पोस्ट अन्धेरी
१८ मार्च, १९२४

प्रिय श्री नाग[१],

आपका ९ तारीखका पत्र मिला।

आपने मेरे स्वास्थ्यके बारेमें पूछा है, इसके लिए धन्यवाद। मैं बराबर प्रगति कर रहा हूँ और स्वयं पत्र-व्यवहार करने योग्य हो गया हूँ। इसलिए कृपा करके जो कुछ लिखना चाहते हों जरूर लिखें।

हृदयसे आपका,

बाबू हरदयाल नाग
चाँदपुर
जिला—त्रिपुरा (बंगाल)

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८५१९) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१२२ से।
  1. बंगाल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके अध्यक्ष।