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१७०. पत्र : डाक्टर मु॰ अ॰ अन्सारीको[१]

पोस्ट अन्धेरी
१८ मार्च, १९२४

प्रिय डा॰ अन्सारी,[२]

सान्त्वनाका आपका तार पाकर बड़ी राहत मिली। बड़े भाई बिस्तरपर पड़े नहीं रह सकते। ढेरों काम पड़ा है और उसे करनेवाले हम लोग बहुत ही कम है। कृपया मरीजकी दिन-प्रतिदिनकी प्रगतिके बारेमें मुझे सूचित करते रहें।

कृपया बेगम अन्सारी, डा॰ अब्दुर्रहमान और अन्य मित्रोंको मेरी याद दिलायें।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८५२१) की फोटो नकलसे।
 

१७१. पत्र : शौकत अलीको

१८ मार्च, १९२४

प्रिय मित्र तथा बड़े भाई,

आपको मीयादी बुखार या किसी भी बुखारका होना ठीक नहीं। हमारे बीच बीमारी मेरी ही किस्मत में रहे। लेकिन मैं आपको लम्बा पत्र देकर परेशान नहीं करूँगा। ईश्वर आपको शीघ्र ही स्वस्थ करे।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८५२०) की फोटो-नकलसे।
  1. यह पत्र १८ मार्चके डा॰ मु॰ अ॰ अन्सारीके उस तारके जवाब में लिखा गया था जो कि उन्होंने शौकत अलीकी बीमारीके सम्बन्धमें भेजा था। तार इस प्रकार था : "खूनकी जाँचसे बुखार मीयादी निकला। बुखार १०१ और १०४ डिग्रीके बीच रहता है। कोई अन्य दोष नहीं हैं, कोई चिन्ता नहीं।" (एस॰ एन॰ ८५१७)। गांधीजीने शौकत अलीको भी लिखा था; देखिए अगला शीर्षक।
  2. डा॰ मुख्तार अहमद अन्सारी (१८८०-१९३६ ); राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता; अध्यक्ष मुस्लिम लीग, १९२०; अध्यक्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, १९२७-२८।