पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/३२५

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१७२. पत्र : एन॰ के॰ बेहरेको

पोस्ट अन्धेरी
१८ मार्च, १९२४

प्रिय श्री बेहरे,

कोटेश्वरमें हुए दलित वर्ग सम्मेलनमें पास किये गये प्रस्ताव मिल गये। यह कार्य आपकी तरह मुझे भी काम्य है। निशाखातिर रहिए, जितना बनेगा करूँगा।

हृदयसे आपका,

श्री एन॰ के॰ बेहरे
नार्मल स्कूल
वर्धा

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८५२२) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१२१ से।
 

१७३. पत्र : मोतीलाल नेहरूको

अन्धेरी
१८ मार्च, १९२४

प्रिय मोतीलालजी[१],

वित्त विधेयककी[२] अस्वीकृति के बारेमें आपका तार मिला। मैं इससे प्रसन्न हुआ हूँ क्योंकि इस विजयसे आप प्रसन्न हुए हैं। किन्तु मैं इसे लेकर बहुत खुशी दिखानेसे रहा; और मैं इस विजयसे चकित भी नहीं हुआ हूँ। उचित अनुशासन और कौशलका उपयोग करनेपर इसका सध जाना असम्भव नहीं था और मैंने आपकी जबरदस्त व्यवहार कुशलता, कायल कर देनेवाली वाग्मिता और धमकियोंके सामने आपके धैर्यपर कभी भी सन्देह नहीं किया। मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ कि यदि आपके पास संगठन के लिए और समय होता और आपको देशका अधिक समर्थन प्राप्त होता तो आप प्रान्तीय तथा केन्द्रीय विधान सभामें बाजी मार ले जाते। फिर भी मैं एक बात अपने मनको समझा नहीं पा रहा हूँ; उसके बारेमें मैंने लालाजीसे[३] थोड़ी बात

  1. पण्डित मोतीलाल नेहरू (१८६१-१९३१ ); वकील और राजनीतिज्ञ; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके दो बार अध्यक्ष
  2. १७ मार्चको मदनमोहन मालवीयके एक प्रस्तावपर, केन्द्रीय विधान सभाने वित्त विधेयकपर विचार करनेके लिए लाये गये एक प्रस्तावको ५७ के विरुद्ध ६० मतोंसे ठुकरा दिया था। १८ मार्चको मोतीलाल नेहरूने तार में लिखा था कि "वाइसरायकी सिफारिशसे आज फिर वित्त विधेयक लाया गया। विधान समाने बिना मत लिये अनुमति देनेसे इनकार कर दिया।"
  3. लाला लाजपतराय।