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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


अपने वर्त्तमान स्वास्थ्यको देखते हुए मैं उन्हीं बातोंपर ध्यान दे पाता हूँ जिन्हें जानता हूँ और जिनपर ध्यान देना अनिवार्य होता है।

हृदयसे आपका,

श्री हॉवर्ड एस॰ रॉस
सर्वश्री मोन्टी, ड्यूरनल्यु, रॉस और ऐंगर्स
बैरिस्टर तथा सॉलिसिटर्स
वर्सेल्स बिल्डिंग्स
९०, सेंट जेम्स स्ट्रीट
मॉन्ट्रियल (कैनेडा)

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८५२३) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१२० से।
 

१७७. पत्र : के॰ पी॰ केशव मेननको

पोस्ट अन्धेरी
१९ मार्च, १९२४

प्रिय केशव मेनन,

आपका पत्र[१] मिला।

मैं जानता हूँ कि भारतमें आपकी तरफ दलित वर्गों की हालत सर्वाधिक बुरी है। जैसा कि आप कहते हैं, वे केवल अछूत ही नहीं हैं बल्कि उन्हें कुछ विशेष सड़कोंपर चल सकने की इजाजत तक नहीं है। उनकी दशा सचमुच शोचनीय है। फिर यदि अभी-तक हमें स्वराज्य नहीं मिला तो इसमें आश्चर्यकी क्या बात है। अपने इन देशभाइयों-के आम सड़कों का उपयोग करने के अधिकारका समर्थन करनेके लिए प्रान्तीय कमेटी एक जुलूसका आयोजन कर रही है, जिसमें वे शरीक होंगे और जुलूस मनाहीवाली सड़कों से गुजरेगा[२]। यह सत्याग्रहकी एक किस्म है। इस स्थितिमें मुझे इसकी शर्तोंपर ध्यान दिलाने की जरूरत नहीं है। यदि हममें से कोई व्यक्ति उनकी प्रगतिका विरोध करे तो जरा भी बल-प्रयोग नहीं होना चाहिए। आपको विनम्रतापूर्वक आत्मसमर्पण कर देना चाहिए और यदि मार पड़े तो उसे भी सह लेना चाहिए। जुलूसमें भाग लेनेवाले हर व्यक्तिको इन शर्तोंसे अवगत कराना चाहिए और उन्हें पूरा करनेके लिए

  1. केशव मेननने १२ मार्चके अपने पत्रमें गांधीजीको सूचना दी थी कि इजावा, तय्था और पुलया लोगोंका एक जुलूस मन्दिरके चारों ओरकी निषिद्ध सार्वजनिक सड़कोंपर यथासम्भव अत्यन्त अनुशासनपूर्ण ढंगसे निकाला जायेगा; देखिए परिशिष्ट ९।
  2. एक समाचारपत्र में रिपोर्ट थी कि "यदि अधिकारीगण निषिद्ध व्यक्तियोंको मन्दिरकी सड़क से गुजरने की मनाही करें तो वाइकोममें सत्याग्रह शुरू करनेकी तैयारी जोरोंसे हो रही है।" आगे क्या कदम उठाये जायें, यह निर्णय करनेके लिए अस्पृश्यता समितिको बैठक २८ मार्चको होगी।