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पत्र : डी॰ आर॰ मजलीको

उसे तैयार रहना चाहिए। केवल तय शुदा थोड़े लोग जुलूसमें भाग लें। शर्तोंका उल्लंघन बिलकुल नहीं होना चाहिए और यदि आपको लगे कि जुलूसके लोग शर्तोंका पालन नहीं करेंगे तो जुलूसको मुल्तवी करनेसे नहीं झिझकना चाहिए। मेरी समझ में हमने सुधार-विरोधियोंके बीच काफी प्रचार नहीं किया, इसलिए अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। मैं जानता हूँ कि समस्या बहुत कठिन है। बिस्तरपर बीमार पड़े- पड़े सलाह देना काफी आसान है। इसलिए सावधान कर देनेके बाद मैं प्रस्तावित आयोजन में आपके लिए पूरी सफलताकी कामना करनेसे अधिक और क्या कर सकता हूँ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत के॰ पी॰ केशव मेनन
कालीकट

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १०२६२) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१२४ से।

 

१७८. पत्र : डी॰ आर॰ मजलीको

१९ मार्च, १९२४

प्रिय मजली,

मेरा हाथ अब उतना नहीं काँपता। तुम्हारा पोस्टकार्ड पाकर कितना आनन्द मिला। जब कभी लिख सको जरूर लिखो। मुझे पूरा विश्वास है कि शीघ्र ही तुम्हारा मन शान्त हो जायेगा। जब कभी आनेकी अनुमति मिले और आने लायक हो जाओ, तो यहाँ आनेमें संकोच न करना।

हृदयसे तुम्हारा
मो॰ क॰ गांधी

डी॰ आर॰ मजली
बेलगाँव

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८५३०) से।