पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/३४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस समिति में श्री शास्त्री, सर तेजबहादुर सप्रू और श्री एन्ड्रयूज के न होने की बातपर मेरा ध्यान गये बिना नहीं रह सकता; क्योंकि इन्होंने ही इस समस्याका अध्ययन किया है और ये ही उसके हर पहलूको समझते हैं। श्री एन्ड्रयूज तो इसके विशेषज्ञ ही हैं। यह कहना ही पड़ेगा कि इन लोगोंका शामिल न किया जाना बहुत खटकने-वाली बात है और इससे मुझे तो यह अन्देशा हो रहा है कि इसके निष्कर्ष किसी कामके होंगे भी या नहीं।

दक्षिण आफ्रिकी सरकारने वर्ग क्षेत्र विधेयकके प्रभावसे केप कालोनीको अलग रखनेका जो निर्णय किया था उसका श्री गांधीने एक दिलचस्प कारण बताया। उन्होंने कहा :

यह तो मुख्यतः डच आबादीकी स्वार्थपरताका एक दृष्टान्त मात्र है। केपमें लगभग सभी घरेलू कामोंके लिए मलय औरतें लगाई जाती हैं। यदि पृथक्करण अधिनियम लागू हो गया तो उसका असर इन औरतोंके आने-जानेपर पड़ेगा; अर्थात् गोरी आबादी के अधिकांश लोगोंको घरेलू नौकरोंसे वंचित हो जाना पड़ेगा और इससे उन्हें जबरदस्त असुविधा होगी। चूँकि केपकी भारतीय आबादी थोड़ी है—कुल मिलाकर करीब १०,०००—इसलिए वहाँ के लोगोंने मान लिया है कि पृथक्करणसे उत्पन्न होनेवाली कठिनाइयाँ ऐसी नहीं हैं कि उनकी कोई बड़ी चिन्ता की जाये।

बातचीत के दौरान श्री गांधीने कर्नल मैडॉककी प्रशंसा करते हुए कहा, "वे मेरे लिए डाक्टर ही नहीं, मेरे मित्र भी हैं।" उन्होंने श्री एन्ड्रयूजकी भी प्रशंसा की। श्री एन्ड्रयूज "चार्ली भाई" के नामसे जाने जाते हैं और जुहूमें श्री गांधीके दाहिने हाथ हैं; वे लगातार सुबह से शामतक लेखादि लिखते रहते हैं।

"मुझे आशा है कि जब भारत स्वराज्य प्राप्त कर लेगा तब आप हम गरीब ईमानदार यूरोपीय पत्रकारोंको अपने-अपने देश लौट जानेको नहीं कहेंगे," हमारे प्रतिनिधिने हँसते हुए कहा। गांधीजी हाथ मिलाते हुए उत्तर में मुस्करा दिये, और बोले :

इसका तो खयालतक आना कठिन है।
[अंग्रेजीसे]
टाइम्स ऑफ इंडिया, २१-३-१९२४