पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/३४७

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१९२. पत्र : एम॰ रेनरको

पोस्ट अन्धेरी
२१ मार्च, १९२४

प्रिय श्री रेनर,

आपका २० तारीखका पत्र[१] मिला।
मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप २६ तारीखकी शामको ५ बजे यहाँ पधारें।

हृदयसे आपका,

श्री एम॰ रेनर,
कमरा २३, ग्रैंड होटल,
बैलार्ड एस्टेट
बम्बई

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८५५१) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१३३ से।
 

१९३. पत्र : जॉर्ज जोजेफको

पोस्ट अन्धेरी
२१ मार्च, १९२४

प्रिय जोजेफ,

देवदासके नाम लिखा तुम्हारा पत्र पढ़ा। आशा है, श्रीमती जोजेफकी तबीयत अब काफी ठीक हो गई होगी। मैं यह पत्र असलमें तुम्हें यह बतलानेके लिए लिख रहा हूँ कि मैं शायद अगले महीनेसे 'यंग इंडिया' के सम्पादनका काम अपने ऊपर ले लूँगा।[२] इसमें मुझे कुछ झिझक भी हो रही है, लेकिन लगता है कि अब और ज्यादा दिनों तक इस कर्त्तव्यसे जी चुराना मुमकिन नहीं है। मैं जानना चाहूँगा कि आगे-के कुछ दिनोंके दौरान तुम क्या करनेकी सोच रहे हो। कहनेकी जरूरत नहीं कि मैंने तुमको पूनामें जो भरोसा दिलाया था, मैं उसपर कायम हूँ। अगर तुम्हारे पास समय हो तो मैं चाहूँगा कि तुम मुझे हर हफ्ते सोचा-समझा हुआ, तथ्योंसे भरपूर और अपनी बढ़िया से बढ़िया शैलीमें लिखा हुआ एक लेख भेज दिया करो। किन्तु वह

  1. रेनरने अपने-आपको आस्ट्रेलियासे आया एक दर्शनार्थी बतलाया था और कहा था कि उनको गांधीजीके कार्य और व्यक्तित्वमें गहरी दिलचस्पी है और गांधीजीके सिद्धान्तोंके बारेमें बहुत-कुछ सुन चुकनेके बाद अब वे उन सिद्धान्तोंको स्पष्टताके साथ समझना चाहते हैं।
  2. गांधीजीने ३ अप्रैल, १९२४ के अंकसे सम्पादनका कार्यभार सँभाला था।