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१९५. पत्र : च॰ राजगोपालाचारीको

पोस्ट अन्धेरी
२१ मार्च, १९२४

प्रिय राजगोपालाचारी,

आशा है, आपका वजन अभी बढ़ता ही जा रहा होगा, बुखार अब नहीं आता होगा और स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा होगा।

अगले महीने से मैं 'यंग इंडिया' और 'नवजीवन' का काम सँभाल रहा हूँ। मुझे लगता है कि अब इसे और ज्यादा नहीं टाला जा सकता; पर मेरा खयाल है कि अब मैं पहलेकी तरह स्वयं ही लगभग सारी सामग्री नहीं जुटा पाऊँगा। इसलिए आप इस बातकी गाँठ बाँध लीजिए कि आपको हर हफ्ते कुछ-न-कुछ सामग्री भेजनी ही है। खद्दरके मामलेमें आप विशेषज्ञता प्राप्त कर रहे हैं। इसलिए यदि आप हर हफ्ते खद्दरके विषयमें ही लिखें तो भी मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी, लेकिन हर हफ्ते इसके बारेमें एक नये ढंगसे, नये-नये तथ्य पेश करते हुए लिखिएगा। पर मैं यह भी नहीं चाहता कि आप इसी एक विषयसे अपनेको बाँध लें। आप किसी भी ऐसे विषयको ले सकते हैं, जिसमें आप समझते हों कि पाठक दिलचस्पी लेंगे। जैसा मैंने सोचा था, उस हिसाब से अबतक मुझे कौंसिलोंमें प्रवेश और हिन्दू-मुसलमान- एकता की समस्यापर अपने विचारोंको लिखित रूप दे देना चाहिए था, लेकिन अफसोस है कि मैं अभीतक ऐसा नहीं कर पाया हूँ। यदि आप 'यंग इंडिया' के स्तम्भों में इन विचारोंको देखें, तो कृपया मुझे दोष मत दीजिएगा। मैं चाहता हूँ कि पहले महीने के दौरान आप यहीं रहते, जिससे कि आप प्रकाशनसे पहले सारी सामग्री देख लेते, पर परिस्थितियाँ जैसी हैं उनको देखते हुए हमें वही करना चाहिए, जो सबसे अच्छा हो। और फिर मैं गलतियाँ करनेसे बच न पाऊँ, तो उसकी भी कोई ज्यादा अहमियत नहीं है; क्योंकि मैं जानता हूँ कि अपनी गलतियोंको मानने और उनको ठीक कर लेनेकी हिम्मत और बुद्धि मेरे पास है। इसमें शक नहीं कि इसका एक दूसरा पहलू भी है। लोग उससे गुमराह हो सकते हैं और इतने कि उनको ठीक रास्तेपर लानेकी गुंजाइश ही न रहे। लेकिन क्या यह प्रक्रिया भी प्रशिक्षण में शामिल नहीं है?

किसी-न-किसीने आपको बतलाया ही होगा कि गोलिकेरे[१] मेरे पास आ गया है और उससे मुझे बड़ी सहायता मिलती है। वह ज्यादासे ज्यादा अगले तीन महीने तक मेरे काम में सहायता देगा। इसी दौरान कृष्टोदास[२] और प्यारेलाल[३] शार्टहैण्डका

  1. गांधीजी के स्टेनोग्राफर।
  2. कृष्णदासने सात महोनेतक गांधीजी के सचिवके रूपमें काम किया था।
  3. प्यारेलाल नय्यर, गांधीजीके एक सचिव, जो १९४२ में महादेव देसाईंकी मृत्युके पश्चात गांधीजी के मुख्य सचिव बन गये थे।