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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इंग्लैंडवासके अनुभव के आधारपर कहा कि 'लेबर पार्टी' को ज्यादा फिक्र तो इंग्लैंडके निर्वाचकोंकी होगी, भारतके बारेमें तो वह सबसे बादमें सोवेगी। लेकिन विधानसभाके कार्य में बाधाएँ पैदा करनेकी स्वराज्यवादियोंकी वर्तमान नीतिकी सम्भावनाओंके बारेमें उन्होंने चुप्पी साध ली—एक अमंगलसूचक चुप्पी। उन्होंने कहा कि वे ब्रिटिश जनताको बुरा नहीं मानते और यह आशा व्यक्त की कि वे कभी-न-कभी एक सम्मानप्रद समझौतेपर राजी हो ही जायेंगे और साथमें यह भी कहा कि उनकी यह आशा सबल कारणोंपर आधारित है।

सेनाके प्रश्नपर अपना विचार बताते हुए उन्होंने कहा कि भारतकी वर्तमान सैनिक शक्तिको घटाकर एक-चौथाई कर दिया जायेगा और साथ ही रेलवेकी व्यवस्थामें भी आमूल परिवर्तन कर देंगे, क्योंकि वर्तमान व्यवस्था सामरिक महत्वको दृष्टिमें रखकर ही की गई है।

गांधी से पूछा गया, "क्या आपको किसी भी देशसे आक्रमणका भय नहीं है?

गांधीका उत्तर था :

हमें अफगानोंसे डर है। लेकिन एक बार हिन्दू-मुसलमानोंकी एकता स्थापित हो जानेपर अफगानिस्तानका अमीर अपने मुसलमान भाइयोंपर हमला नहीं करेगा। अगर रूस हमारे ऊपर हमला करेगा तो हमें उम्मीद है कि यूरोपकी सैनिक शक्तियाँ रूसको ताकतवर न बनने देनेकी दृष्टिसे हमारी मददको आयेंगी और हमें इसका स्वागत करना चाहिए। रूसके वर्तमान शासकोंके बारेमें मेरी मान्यता है कि वे जैसे ऊपरसे दिखते हैं, मैं उनको वैसा ही मानता हूँ। बलके प्रयोगसे जो चीज खड़ी की जाती है उसका अन्त भी बल-प्रयोगसे ही होता है।

मैंने उनसे पूछा : "क्या भारतीय जनता आपके अहिंसा के उपदेशोंको समझती है, जब कि आप उनसे यह भी कहते हैं कि ब्रिटिश शासकोंने उनके साथ अन्याय किया है?" गांधीका उत्तर था :

जी, हाँ समझती है; लेकिन भारत के अलावा अन्य किसी भी देश में यह सम्भव नहीं होगा। आप पाश्चात्य देशों के लोग इसे नहीं समझ सकते, पर भारतीय जनताका मानस ऐसा ही है।

मेरे यह पूछने पर कि क्या पाश्चात्य सभ्यताकी 'बुराइयों' के सम्बन्धमें उनके रुखमें कोई तबदीली हुई है, गांधीने उत्तर दिया कि वे रेलवेकी व्यवस्थाको हटायेंगे नहीं, क्योंकि वह अब अच्छी तरह जम चुकी है। उन्होंने कृषिके आधुनिक औजारोंके अपनाये जानेका समर्थन किया, इसलिए कि भारतीय कृषकोंको सहायताकी जरूरत है। ब्रिटिश फैक्टरियोंके बारेमें उन्होंने आशा व्यक्त की कि चरखके कारण वे अपने आप ठप हो जायेंगी।

मैंने गांधीसे पूछा कि कमाल पाशा द्वारा खलीफाके अपदस्थ किये जानेके बारे में आपका क्या खयाल है। गांधीने उत्तर दिया कि उससे हिन्दू-मुसलमान एकतामें कोई बाधा नहीं पड़ेगी, हालाँकि उन्होंने स्वीकार किया कि एकता अब उतनी