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२१९. तार : बलीबहन वोराको

[२६ मार्च, १९२४ के पश्चात्][१]

बलीबहन
मार्फत हरिदास वोरा
राजकोट
कान्तिको आज आश्रम भेज दो।

बापू

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८५८८) की फोटो-नकलसे।
 

२२०. भेंट : 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे

जुहू
२७ मार्च, १९२४

उन्होंने कहा, मेरे स्वास्थ्यमें जो सुधार हुआ है उससे में सन्तुष्ट हूँ और यद्यपि मुझे बहुत विश्रामकी जरूरत है फिर भी मैंने प्रातः चार बजे उठनेके नियमका पालन फिरसे आरम्भ कर दिया है। एक अन्य प्रश्नके उत्तरमें उन्होंने कहा कि सूत कातना जो एक अनिवार्य काम है, मैंने शुरू कर दिया है। उन्होंने अपनी जेलमें लिखी पुस्तकों-के सम्बन्धमें हमारे प्रतिनिधिको बताया कि दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास नवजीवन प्रकाशन मन्दिरसे शीघ्र ही प्रकाशित होगा और बच्चोंकी पाठ्य पुस्तकें गुजरात विद्यापीठके अधिकारियोंको प्रकाशनके लिए दी जा चुकी हैं।

'टाइम्स ऑफ इंडिया' में 'मिसेज नायडूज पोएटिक्स' ('श्रीमती नायडूका कवित्व') शीर्षकसे श्रीमती नायडूके सम्बन्धमें जो टिप्पणी लिखी गई है, उसका उल्लेख करते हुए हमारे प्रतिनिधिने महात्माजीसे पूछा कि श्रीमती नायडू जो कुछ कर रही हैं, उसके सम्बन्धमें आपका क्या खयाल है।

'टाइम्स ऑफ इंडिया' की टिप्पणीको पढ़कर मुझे दुःख हुआ। टिप्पणीमें श्रीमती नायडूपर जो आरोप लगाये गये हैं, असलमें उन सबका उत्तर 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के ही उसी अंकमें प्रकाशित विशेष तारमें मिल जाता है। चूंकि तारसे भेजे गये समाचारोंमें भाषणों अथवा लेखोंको संक्षिप्त रूपमें भेजा जाता है, इसलिए उनके आधार पर राय बनाने में अत्यन्त सावधानीसे काम लेना चाहिए।

  1. यह किचलूसे प्राप्त २६ मार्च, १९२४ के तारके पीछे लिखा गया था।