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भेंट : 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे


उन्होंने 'पंच' का अंक महात्माजीको देते हुए कहा, "देखिए आपके सम्बन्धमें 'शैरीवेरी' ('भानमतीका पिटारा') स्तम्भके अन्तर्गत 'पंच' में कितना लिखा गया है।"

गांधीजीने 'पंच' में लिखी बातोंपर जल्दी-जल्दी निगाह डाली और उत्तर दिया :

निःसन्देह मैं अमर हो गया, विशेषकर इस कारणसे कि मेरा उल्लेख पहले पृष्ठपर और बिल्लीके चित्रके बाद किया गया है।

इसके बाद वहाँ बहुत जोरका ठहाका लगा, जिससे सारी गैलरी गूँज उठी और वहाँसे कुछ दूर जो रोगी विश्राम कर रहे थे वे भी उधर ही देखने लगे।

प्रतिनिधिके यह पूछनेपर कि केनियाके भारतीयोंने व्यक्ति-कर न देनेके आन्दोलनका जो संगठन किया है, उसके सम्बन्धमें आपका क्या खयाल है, महात्माजीने उत्तर दिया :

इस व्यक्ति-करका प्रभाव केवल ४,००० भारतीयोंपर पड़ता है, इसलिए बहुत करके यह आन्दोलन उग्र रूप धारण नहीं करेगा। यद्यपि इस संघर्ष में भारतीयोंके बहुत कष्ट उठानेकी सम्भावना नहीं है फिर भी उनमें अनुशासन और व्यवस्था अवश्य आ जाएगी। यूरोपीय लोगोंको यह समझ रखना चाहिए कि भारतीय कृतसंकल्प हैं और वे अब अन्यायको सहन नहीं करेंगे।

श्री शास्त्रीके रुखका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे केनियाके भारतीयोंका धैर्यपूर्वक संघर्ष चलाते रहना आवश्यक है वैसे ही यहाँके भारतीयोंको भी उन्हें नैतिक सहायता देते रहना आवश्यक है।

संवाददाताने उनसे आगे पूछा, कांग्रेसकी पिछले दो वर्षकी कार्यवाहीके सम्बन्धमें आपका क्या विचार है? महात्माजीने स्पष्ट रूपसे स्वीकार किया कि वे अभीतक उसका अध्ययन नहीं कर पाये हैं।

मेरा स्वास्थ्य दुर्बल है, इस कारण मेरे पास समय कम बचता है और जो बचता है वह सामयिक घटनाओंपर विचार करनेमें चला जाता है। किन्तु यदि मुझे कांग्रेसके पिछले दो सालके साहित्यको पढ़नेका अवकाश मिल भी जाता तो भी मुझे अपने सहकारियोंके कार्य के सम्बन्धमें राय देने अथवा उसकी आलोचना करने में झिझक ही होती। किसी घटना के बाद बुद्धिमत्ता दिखाना बहुत आसान होता है। समयपर उचित निर्णय करना उतना आसान नहीं होता। किन्तु मुझे प्रमुख कांग्रेस कार्यकर्त्ताओंकी सचाई, निष्ठा और लगनमें पूरा विश्वास है, फिर वे चाहे कौंसिल प्रवेशके पक्षमें हों अथवा विपक्ष में। यह प्रामाणिकतापूर्ण मतभेद है। और जबतक हम जैसे हैं वैसे ही बने रहेंगे तबतक ये मतभेद मिटनेवाले नहीं हैं। मेरी रायमें सतही मेल-मिलापकी खातिर लोगोंका अपने-अपने विचारोंपर अड़े रहना एक शुभ लक्षण है।

इसके बाद हमारे प्रतिनिधिने उनसे पूछा, "मैंने 'टाइम्स' में लेबर सरकारकी भारत-सम्बन्धी नीतिके बारेमें आपके विचार देखे हैं। यदि लेबर पार्टी बहुत बड़े बहुमत से अपनी सरकार बना ले, तब भी क्या आपकी राय यही होगी?"