पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/३७६

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२२३. पत्र : अमिय के॰ दासको

पोस्ट अन्धेरी
२७ मार्च, १९२४

प्रिय श्री दास,

आपका पत्र मिला। मैं नहीं जानता कि इसे असमियामें प्रकाशित करना है अथवा हिन्दी में। इस सम्बन्धमें विलम्ब न हो, इस खयालसे आपको नीचेकी पंक्तियाँ अंग्रेजीमें भेजता हूँ :

हमारे दुःखोंको दूर करनेके उपायके रूपमें इस समय मेरे खयालमें केवल एक ही चीज आती है। वह यह है कि हममें से हरएक चरखा चलाये अथवा ऐसा कोई कार्य करे जिसका इससे सीधा सम्बन्ध हो—जैसे रुई धुनना, पूनियाँ बनाना, खादीकी फेरी लगाना, रुई इकट्ठी करना और उसका वितरण करना आदि। मैं स्वराज्यकी प्राप्ति के लिए चरखेका व्यापक प्रचार अनिवार्य मानता हूँ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत अमिय के॰ दास
सम्पादक 'असमिया'
डिब्रूगढ़
(उत्तरी असम)

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८५९३) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१५१ से।
 

२२४. पत्र : जॉर्ज जोजेफको

पोस्ट अन्धेरी
२७ मार्च, १९२४

प्रिय जोजेफ,

इसके साथ एक पत्र[१] संलग्न है, उसमें जो कुछ लिखा गया है, उसका आशय स्पष्ट है। लिखो हकीकत क्या है। यदि यह बात सच हो कि तुमने सविनय अवज्ञाकी धमकी दी है तो उसका कारण भी लिख भेजना।

मुझे दुःख है कि तुम्हें अभीतक अपनी पत्नीकी बीमारीके सम्बन्धमें निश्चित समाचार नहीं मिल सका है। देवदासको तुमने ठीक ही लिखा है कि रोगी सचमुच राजा होते हैं; किन्तु इन राजाओंका एक संघ हुआ करता है और इस संघके भद्र सदस्य अपने राजसी गौरवको अक्षुण्ण रखते हुए भी एक ही अनुशासनके अधीन चलते

  1. देखिए अगला शीर्षक।