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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यदि तुम अब भी समझते हो कि जो तर्क मैंने तुम्हारे सामने प्रस्तुत किये हैं, उनमें दोष है, तो मैं चाहूँगा कि मैंने जो स्थिति अपनाई है, तुम उसका विरोध करो। मैं चाहता हँ कि हम सब मौलिक ढंगसे विचार करें और स्वतन्त्र रूपसे अपने निर्णयोंपर पहँचे। अपने आपमें और आन्दोलनमें हमारे लिए आमल परिवर्तन करना नितान्त आवश्यक हो गया है। अहिंसा एक अव्यवहार्य स्वप्न साबित हो तो भी मुझे इसकी कोई परवाह नहीं। हम इसमें जो विश्वास रखते हैं, कमसे-कम इतना तो है ही कि वह हमारा हार्दिक विश्वास है। मैं तो एक ही बात जानता हूँ कि हिंसाकी व्यावहारिक वास्तविकताको अपेक्षा मैं अहिंसाके स्वप्नलोकमें विचरना अधिक पसन्द करूँगा। मैंने इसपर अपना सब कुछ वार दिया है। पर इससे मेरे सहयोगियोंका कोई सम्बन्ध नहीं है। उनमें से अधिकांश इसे एक शुद्ध राजनीतिक आन्दोलन मानकर इसमें शामिल हुए हैं। उन्होंने मेरे धार्मिक विश्वासोंको नहीं अपनाया है, और मैं अपने धार्मिक विश्वास उनपर जबरदस्ती थोपना भी नहीं चाहता।

जल्दी ही स्वस्थ होने की कोशिश करो। यदि तुम्हें जरूरी लगे तो इस विषयपर और बातचीत करने के लिए यहाँ आ जाओ।

हृदयसे तुम्हारा,

श्रीयुत कोण्डा वेंकटप्पैया
गुण्टूर

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७९७७) की फोटो-नकलसे।
 

२. मेरी निराशा

मैं एकाएक निराश होनेवाला आदमी नहीं हैं। निराशाके बादलोंमें भी मैं आशाकी किरणें देख लेता हूँ और उसीपर जीता हूँ। लेकिन कह सकता हूँ कि इस समय अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी जो बैठक[१] हुई है उसने मुझे निराश ही किया। आशावादी होने के कारण जहाँ घोर अन्धकार दिखाई दे रहा है, मैं वहाँ भी उजाला ही देख रहा हूँ, यह मेरी ज्यादती ही है।

यदि मेरे विचारको बहुमत का समर्थन न मिला होता तो मुझे अवश्यमेव सफलताकी किरणें दिखाई देती। लेकिन मैं तो बहुमतके बोझके नीचे कुचला जा रहा हूँ। मुझे अपना जयघोष अप्रिय लगता है और अनेक बार तो सचमुच अपने कान ही बन्द करने पड़ते हैं। इस जयघोषके साथ ही अहमदाबाद; वीरमगाँव, अमृतसर,[२] चौरीचौरा आदि स्थानोंमें सुधबुध गँवाकर लोगोंकी टोलियोंने खून किये और मकानोंको जलाया।

  1. यह २४-२५ फरवरी, १९२२ को दिल्ली में हुई थी। इसमें सामूहिक सविनय अवज्ञाको स्थगित रखने और व्यक्तिगत सत्याग्रहकी छूट देनेका प्रस्ताव पास किया गया था।
  2. अप्रैल १९१९ में रौलट अधिनियमके विरोध हुए प्रदर्शनों के दौरान अहमदाबाद, वीरमगांव और अमृतसरमें भीड़ हिंसापर उतर आई थी।