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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आशु लिपिककी जरूरत है। इसपर उन्होंने मुझे अपनी सेवाएँ प्रदान कीं। यदि ऐसा न हुआ होता, तो मैंने आपका प्रस्ताव प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार कर लिया होता। श्री गोलिकेरे मेरे जेल जानेसे पहले मुझे इस काम में सहायता दे चुके थे।

हृदयसे आपका,

श्री के॰ श्रीनिवास आयंगार
'हिन्दू' कार्यालय
मद्रास

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६१५) की फोटो नकल; तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१६९से।
 

२३४. पत्र : च॰ राजगोपालाचारीको

पोस्ट अन्धेरी
२८ मार्च, १९२४

प्रिय राजगोपालाचारी,

श्री कस्तूरीरंगा आयंगारके पुत्रने एक आशु लिपिककी सेवाएँ मुफ्त देनेका जो प्रस्ताव किया था, उसके लिए मैंने उन्हें धन्यवादका पत्र लिख दिया है।

महादेवने मौलाना मुहम्मद अलीके भाषणका वह अंश मुझे दिखा दिया था। वह पढ़ने में अच्छा नहीं लगता। मैं उनसे हर हालतमें जल्दी ही मिलनेकी आशा करता हूँ।

मोतीलालजी और लालाजी कल आ रहे हैं और हकीमजी परसों। इसलिए मैं बातचीत और वाद-विवादमें अत्यन्त व्यस्त रहूँगा और आशा है, कौंसिल प्रवेशके सम्बन्धमें अपने विचार आगामी सप्ताह प्रकाशित करनेकी स्थितिमें हो जाऊँगा। आपको दमेका दौरा कैसे आ गया? क्या कोई अतिरिक्त कारण पैदा नहीं हुआ? यहाँ लौटने का विचार कब है? क्या कार्य समितिकी बैठकसे कुछ दिन पहले यहाँ आना सम्भव नहीं है?

हृदयसे आपका,

श्रीयुत चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
सेलम

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६१३) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१६१ से।