पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/३८५

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२३५. पत्र : ए॰ एम॰ जोशीको

पोस्ट अन्धेरी
२८ मार्च, १९२४

प्रिय श्री जोशी,

आपने आगामी महाराष्ट्र प्रान्तीय सम्मेलनके सिलसिले में आयोजित खादी प्रदर्शनी-का उद्घाटन करने के लिए श्रीमती गांधीको आमन्त्रित करनेकी कृपा की है। किन्तु श्री दास्तानेने मुझे बताया कि वे इस विधिको सम्पन्न करनेके लिए श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारीको बुला रहे हैं। मेरा निश्चित मत है कि उनको बुलाना अधिक अच्छा है। श्रीमती गांधी तो केवल शोभा ही बढ़ा सकती हैं, जब कि जनताके सामने व्यापक ढंगका यह जो एकमात्र वास्तविक और रचनात्मक आन्दोलन उपस्थित है, उसके लिए जरूरत हमें ऐसे लोगोंकी है जिनमें हृदय और मस्तिष्क, दोनोंकी शक्तियोंका उचित समन्वय हो।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत ए॰ एम॰ जोशी
मन्त्री, प्रदर्शनी समिति
महाराष्ट्र प्रान्तीय सम्मेलन
जलगाँव, पूर्व खानदेश

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६१४) की फोटो नकल तथा सी॰ डब्ल्यू॰ ५१७१ से।
 

२३६. पत्र : सी॰ विजयराघवाचार्यको

पोस्ट अन्धेरी
२८ मार्च, १९२४

प्रिय बन्धु,

आपका पत्र[१] मिला, धन्यवाद।

इसमें सन्देह नहीं कि मैंने आपके वक्तव्यपर[२] आपकी पहली घोषणाओंको ध्यान में रखे बिना ही विचार किया। मैं आपके आखिरी उत्तरके ३४वें और ३५ वें पृष्ठसे निम्न वाक्य उद्धृत करता हूँ :

  1. गांधीजीके १९ मार्चके पत्रका उत्तर विजयराघवाचार्यने २३ मार्चको दिया था; देखिए परिशिष्ट १०।
  2. विजयराघवाचार्यसे हुई जिस भेंटका उल्लेख है, उसका पाठ उपलब्ध नहीं है।