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पत्र : के॰ पी॰ केशव मेननको

सम्पत्ति हैं या कोई ब्राह्मणेतर लोग भी उनका इस्तेमाल करते हैं? इसपर उन्होंने स्वीकार किया कि वे लोग भी उनका इस्तेमाल करते हैं। तब मैंने उनसे कहा कि जबतक एक भी ब्राह्मणेतर व्यक्तिको उन सड़कोंके इस्तेमालकी अनुमति दी जाती है, तथा-कथित अछूतों और परिया लोगोंको भी अन्य ब्राह्मणेतरोंके समान ही अधिकार मिलने चाहिए। वे मुझसे सहमत हैं, परन्तु उनका कहना है कि मन्दिर तथा सड़कोंमें दिलचस्पी रखनेवाले न्यासियों तथा अन्य ब्राह्मणोंको भी इस दृष्टिकोणसे सहमत करानेमें अभी समय लगेगा।

मुझे यह भी मालूम हुआ है कि मालवीयजी दो मासके भीतर ही दक्षिण भारत जा रहे हैं। यदि मन्दिरके न्यासी इस बात के लिए राजी हों कि अछूतों और परिया लोगों के प्रतिनिधि के रूपमें आपके और उनके बीच कोई विवाद खड़ा होनेपर इस प्रकार के सभी विवाद मालवीयजी को अन्तिम पंच-फैसले के लिए सौंप दिये जायें और उनका फैसला एक निर्धारित समयके अन्दर हो जाये, तो मैं आपको सलाह दूँगा कि सत्याग्रह मुल्तवी कर दीजिए और सार्वजनिक रूपसे सत्याग्रह मुल्तवी करनेका यह कारण भी घोषित कर दीजिए कि मामला पंच-फैसले के लिए सौंप दिया गया है।

स्वभावतः यह सलाह इस विश्वासके साथ दी गई है कि अय्यर भाइयों द्वारा बताये गये तथ्य सही हैं। वे मुझसे कहते हैं कि इस सुधारको पूरी तरह अमलमें लाने के लिए वे भी उतने ही उत्सुक हैं जितने कि हम और यदि वे अपनी कथनीके प्रति ईमानदार हैं तो हमें भी आपसदारीसे पेश आना चाहिए और अपने सिद्धान्तोंकी रक्षा करते हुए हम उन्हें जो सुविधा दे सकते हों, देनी चाहिए।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी समाचार पत्रकी कतरन (एस॰ एन॰ १०२७३) की माइक्रोफिल्म तथा हिन्दू, ३-३-१९२४ से।