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२५२. तार : कानपुरकी अग्रवाल परिषद्को[१]

[१ अप्रैल, १९२४ या उसके पश्चात्]

अग्रवाल परिषद्
कानपुर

परिषद्को सफलताकी कामना करता हूँ। आशा है परिषद् खद्दरकी, जो कि अकेले लाखों देशभाइयोंकी भुखमरीको दूर दक्षिण भारत में हिन्दी प्रचारकी मदद करेगी, जिसमें अबतक अग्रवाल लोग इतनी उदारता से हाथ बँटाते रहे हैं। सेठ जमनालालजी इतने कमजोर हैं कि इतनी थकान बरदाश्त नहीं कर सकते।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६४२) की फोटो-नकलसे
 

२५३. तार : के॰ पी॰ केशव मेनन को

[१ अप्रैल, १९२४ या उसके पश्चात्][२]

सत्याग्रहियों को मेरी बधाई। आशा है सफलता प्राप्त होनेतक धारा[३] प्रभावित रहेगी। हमें विरोधियोंको शुद्ध प्रेमसे जीतना है।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १०२६५) की फोटो-नकलसे।
  1. यह तार गांधीजीने तार द्वारा प्राप्त निम्नलिखित सन्देशके जवाबमें दिया था : "अखिल भारतीय मारवाड़ी अग्रवाल परिषद् ५, ६, ७, अप्रैलको। निर्वाचित अध्यक्ष बम्बईके सेठ आनन्दीलालजी पोद्दार वहाँ ४ को पहुँच रहे हैं। सेठ जमनालालजी की भी उम्मीद है। आपके आशीर्वाद और आध्यात्मिक सन्देशको हृदयसे याचना है, स्वागत।" (एस॰ एन॰ ८६४१)
    जमनालाल बजाजने भी १ अप्रैलको देवदास गांधीको एक तार भेजा था जो इस प्रकार था : "कानपुर अग्रवाल परिषद् उपस्थितिके लिए जोर दे रही है। कृपया पूनाके वैद्यसे निजी राय देनेके लिए विनती कीजिए। यदि अनुमति मिले तो तीन तारीखको अवश्य रवाना होना चाहिए। बापूकी भी राय लेनी जरूरी है।" (एस॰ एन॰ ८६४२)
  2. तार के॰ पी॰ केशव मेननके १ अप्रैल, १९२४ को मिले निम्नलिखित तारके जवाब में दिया गया था : 'वाइकोम सत्याग्रह कल शुरू हो गया। तीन स्वयंसेवक शान्तिपूर्वक निषिद्ध क्षेत्र में प्रवेश करते समय गिरफ्तार कर लिये गये। उनके गरिमापूर्ण व्यवहारका जनतापर बड़ा असर पड़ा। पुलिसका आचरण प्रशंसनीय रहा। तीनका एक और जत्था आगे बढ़ते हुए आज गिरफ्तार हो गया। जन-समुदाय व्यवस्थित ढंगसे प्रति दिन सत्याग्रह देख रहा है। पहले जत्थेको छः महीनेकी सजा दी गई है।' (एस॰ एन॰ १०२६५)
  3. सत्याग्रहियोंकी धारा।