पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 23.pdf/४३६

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२८७. पत्र : सरदार मंगलसिंह और सरदार राजासिंहको

पोस्ट अन्धेरी
५ अप्रैल, १९२४

प्रिय मित्रो,

'ऑनवर्ड स्पेशल' की १७ मार्च की प्रति मिल गई है। उसे पढ़ जानेपर मुझ बड़ा दुःख हुआ। क्या आपका ऐसा खयाल नहीं है कि उसमें आपने अतिशयोक्तिकी भरमार कर दी है और अनेक असत्य बातें ठूँस दी हैं? आपमें से उन लोगोंको जो इस संघर्ष के धार्मिक स्वरूप में विश्वास रखते हैं इस प्रकारके हथकण्डोंसे काम नहीं लेना चाहिए। यदि 'ऑनवर्ड' को संस्थाकी पत्रिकाके तौरपर चलाना है तो उसका सम्पादन-भार ऐसे व्यक्तिको दीजिए कि जो गम्भीर और सत्यपरायण हो।

हृदयसे आपका,

सरदार मंगलसिंह और सरदार राजासिंह
अमृतसर

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ९९५३) की फोटो-नकलसे।
 

२८८. पत्र : के॰ एम॰ पणिक्करको

पोस्ट अन्धेरी
५ अप्रैल, १९२४

प्रिय पणिक्कर,

आपका १ अप्रैलका पत्र[१] मिला। आपने उसमें जो कुछ लिखा है, उससे मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। जो सज्जन यहाँ आये हुए थे वे आपको बतलायेंगे कि मैंने उनसे क्या कहा था। जो स्मृति-पत्र मैंने उनको दिया है उसके सम्बन्धमें जबतक मित्रोंके विचार मालूम न हो जायें तबतक मेरे लिए कुछ भी कहना कठिन है। क्या आपको अपने सब पत्र नियमित रूपसे मिलते रहते हैं? आपको मिलने के पूर्व उनकी छानबीन या खोला-खाली तो नहीं की जाती? 'ऑनवर्ड स्पेशल' को पढ़नेके पश्चात् किसी प्रकारका वक्तव्य कैसे दिया जा सकता है? उस लेखके लेखकमें धर्म-भावनाका पूर्ण अभाव है और पत्रिकामें अतिरंजना और असत्य प्रचुर मात्रामें है। जिस संघर्ष के बारेमें धार्मिकताका दावा किया जाता है परन्तु जिसको अपने समर्थन के लिए उकसानेवाले और असत्य-

  1. पणिक्करने इससे पहले २९ मार्चको एक पत्र लिखा था। उस पत्रके साथ उन्होंने जेलकी घटनाओं-की जो एक अनौपचारिक जाँच की थी, उसकी रिपोर्ट भेजी थी।