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पत्र : वालजी देसाईको

पूर्ण लेखोंकी आवश्यकता पड़े, मेरे लिए उस संघर्ष में दिलोजानसे भाग लेना असम्भव है। यह पत्र मित्रोंको पढ़कर सुनाया जा सकता है। आपकी स्थिति बहुत नाजुक है। आशा है कि हम लोग जिस सिद्धान्तका दम भरते हैं आप उसके अनुसार आचरण करनेका बल और साहस दिखायेंगे।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

श्रीयुत के॰ एम॰ पणिक्कर
अकाली सहायक ब्यूरो
अमृतसर

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ९९५४) की फोटो-नकलसे।
 

२८९. तार : अलमोड़ा कांग्रेस कमेटीको[१]

[५ अप्रैल, १९२४ या उसके पश्चात्]

धन्यवाद आपका कृपापूर्ण आतिथ्य स्वीकार करनेमें असमर्थ हूँ।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६७९) की फोटो-नकलसे।
 

२९०. पत्र : वालजी देसाईको

[शनिवार, ५ अप्रैल, १९२४ के पश्चात्][२]

भाईश्री ५ वालजी,

सचमुच ही पिछली बार भी समयकी बड़ी कमी रही। दुराग्रह करके जागरण तो किया ही नहीं जा सकता। हम लोगोंको ज्यादा आदमी रखने की जरूरत नहीं है, इसलिए इसी बारसे तुम अपनी आखिरी सूचनापर अमल करना। इसलिए डाक टिकटके बराबर चौड़ाईकी बात कहता हूँ। आशा है कि फिर इस तरहकी भूल नहीं होने पायेगी। 'इम्पोस्चर' को ठीक ही बदल दिया। तुमने जो शीर्षक दिया है, उससे मतलब

  1. यह तार अल्मोड़ा कांग्रेस कमेटीके मन्त्री द्वारा ५ अप्रैल, १९२४ को भेजे गये इस तारके उत्तर में था : "नव वर्षके अवसरपर बधाई। स्वास्थ्य लाभके लिए अलमोदाका जलवायु अत्युत्तम। ठहरनेके लिए बेंगलेकी व्यवस्था कर ली गई है। कृपया अवश्य आइये।"
  2. गांधीजीने यंग इंडियाका सम्पादन-भार ३ अप्रैल, १९२४ को सँभाला था। यह पत्र उसके बाद ही लिखा गया जान पड़ता है। उक्त शनिवार ता॰ ५ अप्रैलको था।