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२९९. पत्र : जोजेफ बैप्टिस्टाको

पोस्ट अन्धेरी
६ अप्रैल, १९२४

प्रिय श्री बैप्टिस्टा[१],

आपके ५ तारीखके पत्रके[२] लिए धन्यवाद।

मैंने आपका पत्र मिलनेपर आपको उत्तर तुरन्त लिखा दिया था। सोमवारकी भाँति बुधवार भी मेरा मौन-दिवस है। आपका यह कहना बिलकुल ठीक है कि मेरे विचार लगभग पहले जैसे ही बने हैं। साथ ही यदि आपको अगले रविवारके बाद समय मिल सके तो सोमवार और बुधवारको छोड़कर अन्य किसी भी दिन सायंकाल ५ और ६ बजेके बीच मुझे आपसे मिलने में प्रसन्नता होगी।

हृदयसे आपका,

श्री जोजेफ बैप्टिस्टा
मथारपकाडी
मजगाँव, बम्बई

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६८५) की फोटो-नकलसे।
 

३००. पत्र : सरदार गुरुबख्शसिंह गुलाटीको

पोस्ट अन्धेरी
६ अप्रैल, १९२४

प्रिय सरदार गुरुबख्शसिंह[३],

आपका ३ तारीखका पत्र पाकर खुशी हुई और जो मित्र आपके आ जानेपर अभी तक जेल में हैं उनके समाचार पढ़कर भी बड़ी प्रसन्नता हुई। मुझे उन सबका और कवीश्वरके साथ हुई बातचीतका स्मरण है।

  1. होमरूल आन्दोलनसे सम्बन्धित एक राष्ट्रवादी नेता।
  2. यह उपलब्ध नहीं है। इससे पहलेके ८ फरवरीके पत्रमें वैप्टिस्टाने लिखा था कि मैं जल्दी ही इंग्लैंड जा रहा हूँ, विशेष रूपसे इस बातको देखते हुए मैं आपसे मिलना और कुछ राजनीतिक मामलों पर बातचीत करना चाहता हूँ।
  3. मूलमें यहाँ 'गुशक्श सिंह' है, जो स्पष्ट दो टाइपको भूल है।