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पत्र : श्रीमती एम॰ जी॰ पोलकको


आपने मेरे स्वास्थ्यके सम्बन्ध में पूछताछ की, इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ। मेरे स्वास्थ्यमें काफी सुधार हुआ है। मैं रोज थोड़ा व्यायाम कर लेता हूँ और शक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

सरदार गुरुबख्शसिंह गुलाटी
मार्फत लाला अमृतलाल सेठी
गुजराँवाला

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ८६८६) की फोटो-नकलसे।
 

३०१. पत्र : श्रीमती एम॰ जी॰ पोलकको

पोस्ट अन्धेरी
६ अप्रैल, १९२४

प्रिय श्रीमती पोलक[१],

इतने बरसोंके बाद तुम्हारी वही लिखावट, तुम्हारी वही भाषा और वही विचार देखनेको मिले। चित्त प्रफुल्लित हो गया। तुमने वाल्डोके सम्बन्धमें जो-कुछ लिखा है उससे ऐसा लगता है कि यदि वह मुझे अचानक मिल जाये तो मैं उसे पहचान नहीं पाऊँगा। आशा है, वह परीक्षामें उर्त्तीण हो जायेगा और उसे नौसेनामें कोई उपयुक्त नौकरी मिल जायेगी।

तुमने माँ[२] और मॉडके[३] बारेमें जो कुछ लिखा उसे पढ़कर मुझे बहुत दुःख हुआ है। आशा करता हूँ कि इस पत्रके पहुँचने तक वे स्वस्थ हो जायेंगे। मैं तुमसे एमीके सम्बन्ध में पूछना भूल गया और तुमने भी उसके सम्बन्धमें कोई समाचार नहीं दिया। शायद तुम्हें नहीं मालूम कि एन्ड्रयूज इस रमणीक स्थानमें अब भी मेरे साथ हैं और माँकी तरह स्नेहपूर्वक मेरी देखभाल कर रहे हैं। रामदास और देवदास भी यहीं हैं। यह जगह एक छोटा अस्पताल ही बन गई है। मगनलालकी लड़की राधाके फेफड़ोंमें सख्त सोजिश आ गई थी। वह यहीं है और अब उसकी अवस्था सुधर रही है। इस कुटीर चिकित्सालय में एक रोगी वल्लभभाई पटेलकी पुत्री है। उसे तुम नहीं जानतीं। यहाँ आचार्य कृपलानीकी बहन भी दाखिल है। तुम उससे भी परिचित नहीं हो। चौथा है छगनलालका पुत्र प्रभुदास; किन्तु वह बिस्तर में नहीं पड़ा

  1. एच॰ एस॰ एल॰ पोलककी पत्नी मिली ग्राहम पोल्क।
  2. पोलककी माँ।
  3. पोलककी बहन।