है। राधाकी माँ और बहन भी यहीं हैं। इस तरह तुम देखती हो कि यहाँ हमारा परिवार खासा बड़ा हो गया है।
एन्ड्रयूजने मुझे बताया है कि हेनरी काफी मोटा ताजा हो गया है। क्या जाने, वह अचानक आ जाये तो मैं उसे पहचान सकूँगा या नहीं। मैं इस प्रतीक्षा में हूँ कि. . .।
मैं यथासम्भव प्रगति कर रहा हूँ। एन्ड्रयूज मुझे सायंकाल समुद्र तटपर घुमाने ले जाते हैं।
- तुम सबको प्यार,
तुम्हारा,
श्रीमती एम॰ जी॰ पोलक
३३, मोब्रे रोड
बर्न्सबरी
लन्दन, एन॰ डब्ल्यू॰
- अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ८६८७) की फोटो-नकलसे।
३०२. पत्र : जॉर्ज जोजेफको
पोस्ट अन्धेरी
६ अप्रैल, १९२४
प्रिय जोजेफ,
तुमने अपनी पत्नीको डाक्टर राजन्की देख-रेख में रखनेका निश्चय किया है, इससे मुझे प्रसन्नता हुई। वे एक निपुण चिकित्सक हैं और मुझे विश्वास है कि उनकी देख-रेख में तुम्हारी पत्नीकी सेवा-शुश्रूषा भली-भाँति होती रहेगी।
यदि तुम अपने जिलेमें कपास की खेती करा पाओ तो यह एक शानदार बात होगी। यदि तुम कपास उगानेवाले निकटतम जिलेसे कपास न मँगाना चाहो तो मेरा सुझाव यह है कि तुम कपड़ा बुनना और जहाँसे भी हाथका कता सूत मिल सके वहाँसे सूत मँगाना आरम्भ कर दो।
वाइकोम [सत्याग्रह] के सम्बन्ध में मेरा यह मत है कि इस कामको तुम हिन्दुओं पर ही छोड़ दो। आत्मशुद्धि उन्हीं को करनी है। तुम इस सम्बन्ध में सहानुभूति दिखाकर और लेखादि लिखकर उनकी सहायता कर सकते हो, किन्तु तुम्हें आन्दोलनका संगठन करके उनकी सहायता नहीं करनी चाहिए और सत्याग्रह करके तो कदापि नहीं। यदि तुम नागपुर कांग्रेस के प्रस्तावको देखो तो तुम्हें पता चलेगा कि उसमें हिन्दू सदस्योंसे अस्पृश्यता के अभिशापको दूर करनेका अनुरोध किया गया है। सीरियाई ईसाइयोंमें भी इस रोगकी छूत लग गई है, श्री एन्ड्र्यूजसे यह जानकर मुझे आश्चर्य हुआ।